नोटबंदी को एक साल हो गया है. इस एक साल के दौरान मोदी सरकार ने कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसके बावजूद भारतीय नगद में ही लेनदेन करना पसंद करते हैं. डिजिटल पेमेंट करने के लिए कई विकल्प मौजूद होने के बावजूद लोग इनका बड़े स्तर पर इस्तेमाल नहीं करते.रविशंकर प्रसाद का बड़ा बयान, कहा- नोटबंदी शुरुआत, आधार से रुकेगी आतंकी फंडिंग
लोगों को कैश है पसंद
मोदी सरकार लगातार कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने में जुटी हुई है. मोदी सरकार ने इस वित्त वर्ष में 25 अरब कैशलेस ट्रांजैक्शन का लक्ष्य रखा है, लेकिन लोगों का कैश के प्रति झुकाव इस लक्ष्य को हासिल करने में देरी कर सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक मौजूदा समय में 1,31,81,190 करोड़ रुपये नगद सर्कुलेशन में है. ये स्थिति तब है, जब मोदी सरकार के अलावा निजी कंपनियां भी कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है. दरअसल मोदी सरकार की तरफ से डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बावजूद नगदी पहली पसंद बनने के पीछे कई वजह हैं.
बहुत सारे विकल्प, कम जागरूकता
कैशलेस पेमेंट करने के लिए यूपीआई, भीम ऐप और मोबाइल वॉलेट समेत कई विकल्प बाजार में मौजूद हैं. भारत सरकार की तरफ से ही यूपीआई, भीम के अलावा आधार पे का ऑप्शन भी दिया गया है. इसके अलावा मोबाइल वॉलेट, बैंक ऐप्स समेत अन्य कई विकल्प हैं, जिनके जरिये कोई भी व्यक्ति कैशलेस टांजैक्शन कर सकता है.
लोगों के बीच कंफ्यूजन
भले ही पहली नजर में इतने सारे विकल्प बेहतर नजर आ सकते हैं, लेकिन ये लोगों के मन में कंफ्यूजन भी पैदा करते हैं. इतने ऑप्शन होने के बावजूद अगर कैशलेस ट्रांजैक्शन नहीं बढ़ रहे, तो इसकी एक बड़ी वजह जागरूकता का न होना है. भारत में आज भी कई लोग हैं, जिन्हें एटीएम से पैसे निकालने के लिए भी मदद की जरूरत होती है. ऐसे में अगर हम इन लोगों को कैशलेस ट्रांजैक्शन करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं, तेा उन्हें इन्हें इस्तेमाल करने को लेकर जागरूक करने की जरूरत है.
ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ानी होगी पहुंच
शहरों में भले ही मोबाइल वॉलेट और कैशलेस लेनदेन को लेकर हलचल दिख रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह हलचल काफी कम है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए भी जागरूकता की जरूरत है. उन्हें न सिर्फ इन विकल्पों के बारे में बताया जाना चाहिए बल्कि इन्हें इस्तेमाल करना भी सिखाया जाना चाहिए.
कारोबारियों को देना होगा प्रोत्साहन
भले ही सरकार कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दे रही है, लेकिन कारोबारियों और दुकानदारों को पीओएस मशीन का यूज करने के लिए चार्ज भरना पड़ता है. अगर इस चार्ज में कटौती की जाए. इसके साथ ही कैशलेस पेमेंट करने के लिए अगर दुकानदारों को इंसेंटिव दिया जाता है, तो यह भी कैश यूज को कम कर सकता है.
पीओएस मशीनों की संख्या बढ़ाना
देश में 70 करोड़ से ज्यादा डेबिट कार्ड यूजर्स हैं, लेकिन प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) की संख्या काफी कम है. ऐसे में पीओएस की संख्या बढ़ाए जाने पर भी सरकार को ध्यान देना होगा.
डेबिट-क्रेडिट चार्ज कम हो
कई बैंक आज भी डेबिट और क्रेडिट कार्ड से लेनदेन करने पर चार्ज वसूलते हैं. बैंक अगर इन चार्जेस को कम या खत्म करने पर विचार करें, तो यह भी कैशलेस इकोनॉमी को बूस्ट देने वाला कदम साबित हो सकता है.