देश में जल्द ही प्रीपेड मोबाइल नंबरों का वेरिफिकेशन शुरू होगा। कंज्यूमर के सही पाए जाने पर ही नंबर जारी रखने दिया जाएगा। सिम कार्ड का मिसयूज रोकने के लिए जल्द ही केंद्र सरकार इसे लेकर पॉलिसी बना सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को इस बारे में निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि इस काम को एक साल में पूरा किया जाए। असल में फेक आई कार्ड के जरिए मोबाइल नंबर लेना और उससे फ्रॉड करने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। करीब दो करोड़ ऐसे नंबर्स हैं।  मोबाइल फोन से बैंकिंग भी होने लगा है तो फ्रॉड का डर और बढ़ गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक साल में ऐसे नियम बनाए, जिससे सिम कार्ड का गलत इस्तेमाल न हो सके। कोर्ट ने केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि वह ऐसा सिस्टम बनाए, जिसमें प्री-पेड सिम लेने वाला हर शख्स रिचार्ज के वक्त एक फॉर्म भरकर जमा कराए। कोर्ट ने कहा कि इसे फेज में लागू किया जा सकता है या सब्सक्राइबर्स को वेरिफिकेशन के लिए 6 महीने का वक्त दिया जा सकता है। अगर सब्सक्राइबर्स वेरिफिकेशन न कराएं, तो उनकी रिचार्ज फैसिलिटी रोक देनी चाहिए।
कैसे होगी पुराने यूजर्स की जांच: रिचार्ज के समय कस्टमर्स को एक ई-केवाईसी फॉर्म भरने को दिया जाएगा। कंज्यूमर की पहचान के लिए आधार नंबर या दूसरे दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जाएगा। एक बार फॉर्म मिलने के बाद अगले 2-3 रिचार्ज तक उसे भरकर देना होगा। देश में इस समय 111 करोड़ से ज्यादा लोगों का आधार बन चुका है। इसे देखते हुए ट्राई ने डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलिकॉम को कहा था कि वह आधार बेस्ड ई-केवाईसी कराएं। जैसा कि कई टेलिकॉम कंपनियां नए यूजर्स के लिए कर रही हैं।
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