मौरावां थानांतर्गत चिलौली गांव में भूमि समतलीकरण के दौरान खोदाई में प्राचीन तलवारे मिलते ही ग्रामीणों की भीड़ लग गई। यह तलवारें प्राचीन बताई जा रही हैं, जो एतिहासिक भी हो सकती हैं। फिलहाल पुलिस प्रशासन ने तलवारों को मालखाने में सुरक्षित रखवा दिया है। अब पुरातत्व विभाग तलवारों की जांच करके ही स्पष्ट करेगा कि यह किस काल से जुड़ी हुई हैं।
उन्नाव क्षेत्र का काफी पुराना इतिहास रहा है और आसपास कई रियासत और राजाओं के किले भी हैं। यह भी कहा जाता है कि लखनऊ के इमामबाड़े की सुरंग का रास्ता भी उन्नाव से होकर गया है, हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई। उन्नाव के आसपास बने क्षेत्रों में किले और प्राचीन मकान कई वर्षों पहले मिट्टी में दफन हो चुके हैं या फिर टीले के रूप में परिवर्तित हो गए हैं। बीते दिनों राजा के किले के नीचे खजाना होने के संदेह पर डौंडियाखेड़ा का नाम काफी चर्चित हुआ था। पुरानी बातों को याद करते हुए मौरावा थाने के चिलौली गांव में बुधवार की शाम खोदाई में प्राचीन तलवारें निकलीं तो लोग हैरत में पड़ गए और आसपास के गांवों से देखने वालों की भीड़ उमड़ने लगी।
दरअसल, चिलौली गांव में करीब सात माह पहले गांव के इंद्रबहादुर सिंह व रामनारायण ने लखनऊ के दुबग्गा निवासी सिंचाई विभाग के अधिकारी अनिरुद्ध वर्मा को जमीन बेच दी थी। नदी किनारे की सात बीघा भूमि को ट्रैक्टर से समतल किया जा रहा था, तभी अचानक खुदाई के समय तीन तलवारें जमीन के अंदर से निकलीं। प्राचीन तलवारें देखने के लिए लोग इकट्ठे हो गए। पुलिस को सूचना दिए बिना खेत मालिक का कर्मचारी सोनू तलवारें लेकर लखनऊ चला गया था। इस बीच किसी ने तलवारों की फोटों खींच ली थी, जिसे इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया।
एसओ मुकेश वर्मा ने बताया कि सोनू तीनों तलवारें ग्राम प्रधान सीमा के प्रतिनिधि जगदीश और रोजगार सेवक संजय कुमार के सुपुर्द कर गया था, जो पुलिस को मिल गई हैं। एसडीएम राजेश प्रसाद चौरसिया ने बताया लेखपाल और कानूनगो को भेजकर भूमि का चिह्नांकन कराया गया है। तलवारें जांच के लिए पुरातत्व विभाग को भेजी जाएंगी। पुरातत्व विभाग की जांच के बाद ही जमीन खोदाई का निर्णय लिया जाएगा।
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