उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में 1 जुलाई यानी आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए है। इनमें भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 शामिल हैं। इन नए कानूनों के लागू होने के साथ आज ब्रिटिश राज के औपनिवेशिक कानूनों का अंत हो गया। इन नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों का खास ध्यान रखा गया है। उनके खिलाफ होने वाले अपराधों के मामलों में सख्त सजा देने का प्रावधान है। साथ ही इसमें पेपर लीक कराने वालों को भी सख्त सजा देने का प्रावधान है। आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नए कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआईआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है।
तय समय सीमा में दर्ज होगी FIR
आपराधिक मुकदमे की शुरुआत FIR से होती है। नये कानून में तय समय सीमा में एफआईआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआईआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।
महिला अपराधों में ज्यादा सख्ती की जाएगी
इन तीन नए क्रिमिनल लॉ में बच्चों से अपराध करवाना, आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध है। नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल, नाबालिग से गैंगरेप पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड, पीड़ित का अभिभावक की उपस्थिति में बयान दर्ज होगा। वहीं, महिला अपराधों में ज्यादा सख्ती की जाएगी। जैसे, गैंगरेप में 20 साल की सजा, आजीवन कारावास। यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना अब अपराध। पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज होगा। इसके अलावा तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी जरूरी है। घटनास्थल की वीडियोग्राफी डिजिटल लॉकर में सुरक्षित होगी।
90 दिन में शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट देना होगा अनिवार्य
नए कानूनों के तहत 90 दिन में शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत के तीन बाद थाने जाकर हस्ताक्षर कर सकेंगे। 60 दिन के भीतर आरोप तय होंगे और मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय होगा। डिजिटल एवं तकनीकी रिकॉर्ड दस्तावेजों में शामिल होंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये न्यायालयों में पेशी हो सकेगी। सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य है। छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य होगा। पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम, एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत होगी।