
पिछले वित्त वर्ष में छात्रवृत्ति एवं शुल्क भरपाई योजना के लिए 50.85 लाख विद्यार्थी पात्र पाए गए थे। इनके लिए समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लिए कुल 5,216 करोड़ रुपये की जरूरत थी, पर इस मद में इन विभागों के पास करीब 3,400 करोड़ रुपये ही उपलब्ध थे।
बजट की कमी के चलते लगभग 17 लाख विद्यार्थियों को पात्र होने के बावजूद भुगतान नहीं किया जा सका। यह स्थिति समीक्षा बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ की जानकारी में आई तो उन्होंने कहा कि नियमावली इस तरह से तैयार की जाए कि प्रत्येक छात्र के खाते में कुछ न कुछ राशि भेजी जा सके।
इस पर समाज कल्याण निदेशालय ने छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का मद अलग-अलग करने के लिए नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया। इसके तहत पहले सभी स्टूडेंट्स को छात्रवृत्ति दी जाएगी, उसके बाद जो भी राशि बचेगी उससे शुल्क प्रतिपूर्ति होगी।
बता दें, कक्षा-10 से ऊपर की विभिन्न कक्षाओं के छात्रों के लिए 4-12 हजार रुपये तक छात्रवृत्ति दी जाती है। इस सुविधा के दायरे में वे विद्यार्थी आते हैं, जिनके परिवार की अधिकतम आय दो लाख रुपये सालाना है।
नियमावली में संशोधन से सभी छात्र वजीफा तो पा जाएंगे, पर शुल्क भरपाई से काफी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स वंचित रह जाएंगे।
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