उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है. केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी को राज्य के वोटरों ने एक बार फिर अप्रत्याशित बहुमत दिया है. इससे पहले प्रदेश के वोटरों 2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए 80 में से 73 सीटों पर जीत दी थी. अब राज्य की 403 सदस्यों की विधानसभा में बीजेपी के पक्ष में 325 सदस्य हैं.
यह बहुमत प्रदेश ने प्रधानमंत्री मोदी के उस वादे पर दिया है जहां वह आर्थिक तौर पर पिछड़े और बिमारू राज्य कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश को देश के सबसे अग्रणी राज्य गुजरात के मॉडल पर विकसित करेंगे. अब प्रदेश में बनने वाली नई सरकार चुनावी वादे को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाएगी. लेकिन आम आदमी को बस ये 6 आंकड़े बताएंगे कि कैसे उत्तर प्रदेश बनेगा गुजारत:
1. जीएसडीपी: आर्थिक आंकड़ों में गुजरात देश का अग्रणी प्रदेश है. देश की कुल जनसंख्या के महज 5 फीसदी जनसंख्या वाला गुजरात देश की जीडीपी में 7.6 फीसदी (11 लाख करोड़ रुपये) से अधिक का योगदान करता है. वहीं उत्तर प्रदेश की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या से 16 फीसदी अधिक है और जीडीपी में उसका योगदान 8 फीसदी (12 लाख करोड़ रुपये) के आसपास है. जहां गुजरात 2004-05 से 2014-15 के दौरान 12 फीसदी विकास दर से साथ आगे बढ़ा वहीं वहीं इस दौरान उत्तर प्रदेश महज 6 फीसदी की ग्रोथ दे पाया है.
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3. फैक्ट्री: इंडस्ट्री के मामले में गुजरात केमिकल्स, पेट्रोकेमिकल, डेयरी, ड्रग्स और फार्मा, सीमेंट और सिरेमिक्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग में अग्रणी राज्य है. प्रदेश में 800 बड़ी फैक्ट्रियों के साथ 4 लाख 53 हजार से अधिक स्मॉल और मीडियम फैक्ट्रियां है. वहीं उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था अभी भी कृषि प्रधान है. मेक इन इंडिआ कार्यक्रम के तहत 25 अहम इंडस्ट्री में गुजरात की उपलब्धि उत्तर प्रदेश से काफी आगे है.
4. रोज़गार: उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी ने 2016 के दौरान 7.4 फीसदी के आंकड़े को पार कर लिया है. जबकि बेरोजगारी का राष्ट्रीय औसत 5 फीसदी है. रोजगार देने के मामले में उत्तर प्रदेश देश के कई राज्यों से पीछे है. गुजरात में बेरोजगारी का आंकड़ा 3.8 फीसदी है और महाराष्ट्र में 2.1 फीसदी है. रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में बिहार 6 फीसदी बेरोजगारी दर और हरियाणा 4.7 फीसदी के आंकड़े के साथ उत्तर प्रदेश से बेहतर स्थिति में हैं.
5. साक्षरता: उत्तर प्रदेश में साक्षरता आंकड़े बेहद खराब हैं. 2011 के आंकड़ों के मुताबिक जहां प्रदेश में महज 68 फीसदी लोग लिख-पढ़ सकते हैं वहीं राष्ट्रीय स्तर पर 74 फीसदी है. वहीं गुजरात में साक्षरता के आंकड़े 78 फीसदी से अधिक है. सीएसओ के आंकड़ों के मुताबिक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के पीछे सबसे बड़ी चुनौती राज्य में स्कूल की स्थिति है. जहां सीबीएसई द्वारा प्रति टीचर 10-30 छात्र का प्रावधान है प्रदेश में प्रति टीचर औसत 70 छात्रों का है.
6. स्वास्थ्य सुविधा: स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर उत्तर प्रदेश और बिहार की हालत बेहद खराब है. हेल्थ केयर और हेल्थ सेंटर के मापदंड़ों पर उत्तर प्रदेश के 47 जिले राज्य के औसत से नीचे हैं. राज्य में इंफैन्ट मौर्टेलिटी रेट 50 मृत्यु प्रति 1000 जन्म पर है जबकि राष्ट्रीय औसत 40 मृत्यु प्रति हजार जन्म पर है. प्रदेश में 50 फीसदी से कम जन्म अस्पताल अथवा हेल्थ केयर सेंटर में होता है जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 75 फीसदी से अधिक है.