मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति का ब्यौरा न देने पर प्रदेश के करीब ढाई लाख राज्य कर्मचारियों के अगस्त माह का वेतन रोक दिया गया है।
देश में अपनी संपत्ति का ब्यौरा न देने वाले 2.44 लाख राज्य कार्मिकों का अगस्त का वेतन रोक दिया गया है। मुख्य सचिव ने 31 अगस्त तक हर हाल में मानव संपदा पोर्टल पर चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे। तय तिथि तक राज्य सरकार के 71 फीसदी कार्मिकों ने ही अपनी संपत्ति का खुलासा किया।
मुख्य सचिव ने 17 अगस्त को शासनादेश के जरिये सभी कार्मिकों को अपनी संपत्ति का खुलासा करने के निर्देश दिए थे। साथ ही सभी विभागों को आदेश दिया था कि 31 अगस्त तक संपत्ति का ब्यौरा देने वालों को ही अगस्त माह का वेतन दिया जाए। प्रदेश में कुल 846640 राज्य कर्मी हैं। इनमें से 602075 ने ही मानव संपदा पोर्टल पर चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा दिया।
संपत्ति का ब्यौरा देने में टेक्सटाइल, सैनिक कल्याण, ऊर्जा, खेल, कृषि और महिला कल्याण विभाग के कार्मिक सबसे आगे रहे। जबकि, शिक्षा विभाग के कार्मिक अपनी संपत्ति को छिपाने में आगे हैं। इस लिहाज से सबसे फिसड्डी बेसिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास और राजस्व विभाग साबित हुए।
यहां बता दें कि 17 अगस्त को जब यह आदेश जारी हुआ था, तब 131748 यानी 15 फीसदी राज्य कर्मियों ने ही पोर्टल पर अपनी संपत्ति दर्ज की थी। 20-31 अगस्त के बीच यह बढ़कर 71 फीसदी हो गया। शासन के एक उच्चपदस्थ अधिकारी ने बताया कि संपत्ति का ब्यौरा न देने वाले कार्मिकों का वेतन रोकने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है। सभी विभागों को इसका अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।
गृह विभाग ने मांगा समय
डीजीपी मुख्यालय ने नियुक्ति विभाग को पत्र भेजकर उनके कार्मिकों के लिए संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए कुछ और समय दिए जाने का अनुरोध किया है। पत्र में कहा गया है कि त्योहारों और पुलिस भर्ती परीक्षा के कारण तमाम पुलिस कर्मी समय से अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे पाए। माना जा रहा है कि गृह विभाग के लिए यह तिथि बढ़ाई जा सकती है।
संपत्ति का ब्यौरा देने पर ही जारी हो सकेगा वेतन
शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, जिन अधिकारियों-कर्मचारियों का अगस्त माह का वेतन रोका गया है, इसे तभी जारी किया जाएगा, जब वे संपत्ति का ब्यौरा दे देंगे। उनकी संपत्ति का ब्यौरा मिलने पर वेतन देने का फैसला संबंधित विभाग शासन से वार्ता के बाद ले सकेंगे।
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