ये बात देश में किसी से भी छुपी नहीं है कि कश्मीर घाटी में पिछले करीब एक साल से भयंकर हिंसा की चपेट में है लेकिन इसके बावजूद मोदी सरकार को चेताने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पहली बार अपनी सबसे बड़ी और कोर टीम यानी कि अखिल भारतीय प्रचारक सम्मेलन जम्मू-कश्मीर में करने जा रहा है। यह भी पढ़े:> संबंध के दौरान चुपके से कॉन्डम हटाना पड़ा बहुत महंगा, और फिर…
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ग़ौरतलब है कि 18 जुलाई से 20 जुलाई दो दिन तक तक चलने वाले इस आयोजन में RSS प्रमुख मोहन भागवत समेत सबसे प्रमुख संघ नेता शामिल होंगे अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए तो संघ की संसद यहाँ होने जा रही है । सूत्रों के अनुसार ऐसा भी सम्भव है कि भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह के इस बैठक में शामिल होने के पूरे आसार हैं। माना ये भी जा जा रहा है कि आरएसएस ने ये फैसला इसलिए लिया है ताकि मोदी सरकार को संकेत दिया जाए कि कश्मीर में जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी हालात जल्द सामान्य होने चाहिए।
आपको बता दें की कश्मीर घाटी में आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पिछले एक साल में पाकिस्तान परस्त हुरियत के द्वारा भड़काएँ जाने पर और पाकिस्तान से पैसा लेकर ऐसे विरोध प्रदर्शनों, पत्थरबाजी, सीमापार गोलीबारी और घुसपैठ को बढ़ावा देने की कई घटनाएँ हो चुकी हैं।
ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार के लिए कश्मीर में संघ के सबसे प्रमुख नेताओं के जुटने पर उनकी सुरक्षा की बड़ी चुनौती होगी। अंग्रेज़ी अख़बार द एशियन एज की रिपोर्ट के मुताबिक़ सुरक्षा चिंताओं को जाहिर किए जाने के बावजूद संघ ने साफ़ कहा है कि संघ वाले ख़तरों से नहीं डरते । RSS के एक वरिष्ठ संघ नेता ने एशियन एज से कहा कि हमने ये फ़ैसला इस साल के शुरू में ही ले लिया था ।
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