लखनऊ। प्राइवेट प्रैक्टिस (पीपी) करने वाले सरकारी डॉक्टरों पर कार्रवाई की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हिदायत पर स्वास्थ्य महकमे ने अमल शुरू कर दिया है। ऐसे में डॉक्टरों को सुबूत समेत पकड़ने के लिए ‘स्टिंग ऑपरेशन’ शुरू किया गया है। बांदा व गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के दो डॉक्टर पहले दौर में फंस गए।

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इनके विरुद्ध जांच के बाद कार्रवाई की संस्तुति संबंधित कॉलेजों के प्राचार्य से की गई है।पिछले दिनों किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस से बाज जाने की हिदायत दी थी। इसके बाद स्वास्थ्य महकमा तेजी से सक्रिय हुआ।
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प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को साक्ष्यों के साथ पकड़ने के लिए स्टिंग ऑपरेशन शुरू किया गया। इस अभियान के पहले दौर में बी बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के नाक-कान-गला विभागाध्यक्ष डॉ. आरएन यादव और राजकीय मेडिकल कॉलेज बांदा केमेडिसिन विभाग के चिकित्सक डॉ. करन राजपूत फंस गए।
डॉ. यादव के स्टिंग का वीडियो अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरुण सिन्हा ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजते हुई कार्रवाई की संस्तुति करने की हिदायत दी है जबकि डॉ. राजपूत का स्टिंग चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कराया है। अब चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ. वीएन त्रिपाठी ने दोनों चिकित्सकों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बांदा व गोरखपुर मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यो से तीन दिन अंदर जांच कर कार्रवाई की संस्तुति समेत रिपोर्ट मांगी है।
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों की पीपी रोकने का जिम्मा प्राचार्यों को सौंपा है। प्राचार्यों को यह भी निर्देशित किया गया है कि वह अपने स्तर से भी पीपी में संलिप्त डॉक्टरों की स्टिंग कराएं। शासन स्तर से ऐसा अभियान पहले ही चल रहा है।
चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर अंकुश के लिए पहले भी कोशिशें हुई हैं किन्तु स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा महकमे को इसमें सफलता नहीं मिली है। हर बार डॉक्टर सुबूत के अभाव में बच जाते हैं। कुछ लोग सादे कागज पर दवाइयां लिखते हैं तो कुछ निजी चिकित्सकों के पर्चो पर दवा लिखते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि स्टिंग का वीडियो सुबूत होगा और दोषी चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी।
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