Delhi Crime: राजधानी दिल्ली में वाहन चोरी की लगातार बढ़ती घटनाओं ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। दिल्ली पुलिस के ही आंकड़ों के मुताबिक सभी 15 जिलों से हर दिन करीब 100 से ज्यादा वाहन चोरी होते हैं, जिनमें दो पहिया व कार समेत सभी तरह के वाहन शामिल हैं। पुलिस उक्त घटनाओं पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है। सालों से लोगों के लिए वाहन चोरी विकट समस्या बन कर खड़ी है।
2013 से पहले जब वाहन चोरी के मामले में दिल्ली में आनलाइन एफआइआर की सुविधा नहीं थी तब राजधानी में हर दिन करीब 50 वाहन चोरी होते थे। आनलाइन एफआइआर की सुविधा होते ही वाहन चोरी के मामलों में दोगुना बढ़ोतरी हो गई है।दिल्ली में वाहन चोरी की समस्या जितनी बड़ी है पुलिस इस मामले को उतने ही हल्के में लेती है।
कहा जाता है कि वाहन चोरी के मामले में पुलिस के तफ्तीश न करने के कारण यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। 2013 से पहले जब किसी इलाके में वाहन चोरी की घटना होती थी तब पीडि़त द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम को काल करने पर एसीपी व थानाध्यक्ष मौके पर पहुंच कर तफ्तीश करते थे। संबंधित थाने में मुकदमा दर्ज किया था। ऐसे में थाना पुलिस पर केस की तफ्तीश कर वाहन चोरों को पकड़ने व चोरी के वाहन बरामद करने की जिम्मेदारी होती थी।
अधिकतर मामलों में पुलिस वाहन चोरों को पकड़कर चोरी किए वाहन बरामद कर लेती थी। वाहन चोर पकड़े जाने पर चोरी की घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लग पाता था। केस सुलझाने की दर अमूमन ठीक था। 2013 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी द्वारा वाहन चोरी के मामले में आनलाइन एफआइआर की सुविधा लाने पर थानों में वाहन चोरी की एफआइआर करनी बंद करवा दी। जिसके बाद हालात बद से बदतर होते चले गए।
थाना पुलिस ने जब वाहन चोरी के मामले में तफ्तीश कर वाहन चोरों को पकड़ना व चोरी के वाहन बरामद करना ही बंद कर दिया तब चोरी की घटनाएं बेतहाशा बढ़ गई। कहा जाता है कि इस मामले में एप लाने पर अब अगर वाहन चोरी की घटना में पीडि़त पुलिस कंट्रोल रूम को काल करता है तब खानापूर्ती के तौर पर इलाके के बीट आफिसर मौके पर पहुंचते हैं। पीडि़त से आनलाइन एफआइआर करवा वे मौके से चले जाते हैं। केस की तफ्तीश न करने व वाहन चोरी को न पकड़ने के कारण चोरी के वाहन बरामद नहीं होते हैं।
यही वजह है कि वर्तमान में वाहन चोरी के मामले में केस सुलझाने व चोरी के वाहन बरामद करने का दर महज दो प्रतिशत है। एप लाने पर भीमसेन बस्सी ने उस दौरान सालाना पत्रकार वार्ता में यह बात कही भी थी कि दिल्ली पुलिस में कर्मियों की कमी है। बड़े मामलों में पुलिस उलझी रहती है। एप इसलिए लाया गया ताकि लोग आनलाइन एफआइआर कर जल्द क्लेम ले सकें।
तब से वाहन चोरी का मामला दिल्ली वासियों के लिए जंजाल बना हुआ है। पूर्व पुलिस आयुक्त आलोक वर्मा ने वाहन चोरी के मामले को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखते हुए दिल्ली पुलिस को गंभीरता से जांच करने के लिए निर्देश जारी किया था। उस दौरान दिल्ली में वाहन चोरी की घटनाएं कम गई थी।
केस सुलझाने का दर भी बढ़ गया था। उनके सेवानिवृत्त होते ही हालात पहले जैसे हो गए। कहा जा रहा है कि वाहन चोरी के मामले में आनलाइन एफआइआर की सुविधा होने व संख्या बल की कमी के कारण दिल्ली पुलिस वाहन चोरी के मामले पर ध्यान नहीं देती है। वर्तमान आयुक्त संजय अरोड़ा को इस दिशा में कोई ठोस उठाने की जरूरत है।
वाहन चोरी के मामले
वर्ष —–मामले
2022–20,000 (15 जुलाई तक)
2021–37910
2020–35019
2019–46215
2018–46433
2017–40972
2016–38644
2015–32729
2014–23384
2013–14916
2012–14391
2011–14668