राजस्थान में जारी सियासी संग्राम के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ दायर याचिका को राजस्थान हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है और कुछ निर्देश दिए हैं। यह याचिका भाजपा नेता मदन दिलावर ने दाखिल की थी। इससे पहले सुनवाई के दौरान राजस्थान स्पीकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। हाई कोर्ट की तरफ से बसपा से कांग्रेस में विलय करने वाले विधायकों को भी नोटिस जारी किया गया था,लेकिन पिछले पांच दिन से सभी जैसलमेर में हैं। ऐसे में उन्हें नोटिस तामिल नहीं हो सका। इन विधायकों से 11 अगस्त तक जवाब मांगा गया है।
मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने बुधवार को मामले की सुनवाई की। सुनवाई शुरू होते ही दिलावर व बसपा की तरफ से विधायकों के विलय को अमान्य घोषित करने की मांग की गई। बुधवार को बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने हाई कोर्ट में कहा कि जब तक मामला कोर्ट में है तब तक बसपा के विधायकों को फ्लोर टेस्ट में किसी भी पक्ष को वोट नहीं डालने दिया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि विधायकों का कांग्रेस में विलय असंवैधानिक है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायक राजेंद्र गुढ़ा,जोगेंद्र सिंह अवाना,संदीप कुमार,वाजिब अली,लाखन सिंह व दीपचंद की विधानसभा सदस्यता रद करने को लेकर भाजपा विधायक मदन दिलावर ने स्पीकर के समक्ष याचिका दायर की थी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी याचिका रद कर दी। इसके बाद अध्यक्ष ने इस साल मार्च में सभी विधायकों के कांग्रेस में विलय को मंजूरी भी दे दी। इस पर मदन दिलावर हाई कोर्ट पहुंच गए। उनके साथ बसपा भी पार्टी बन गई।
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