हां और न की सियासी उधेड़बुन के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने जीएसटी को लागू करने का फैसला किया है, लेकिन रियासत में जीएसटी पूरे देश के साथ एक जुलाई को लागू नहीं हो पाएगा। संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को हासिल विशेष दर्जे के मद्देनजर सरकार द्वारा जीएसटी पर आम सहमति बनाने के सारे प्रयास विफल साबित हुए।नेशनल कांफ्रेंस समेत तमाम विपक्षी दलों के विरोध और अलगाववादियों द्वारा हड़ताल-प्रदर्शन की चेतावनी के दबाव में सरकार इस मुद्दे पर साहसिक फैसला लेने से कतरा रही थी। अब रियासत सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश से फैसले को लागू करने का निर्णय लिया है। सरकार इस फैसले पर विधानसभा की भी मंजूरी चाहती है इसलिए 4 जुलाई से विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष कवीन्द्र गुप्ता ने सत्र बुलाए जाने की पुष्टि की है। जम्मू-कश्मीर के वित्तमंत्री ने दिल्ली में सूत्रों से बातचीत में कहा कि जम्मू-कश्मीर में जीएसटी 6 जुलाई से लागू होने की उम्मीद है।
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जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री डा. हसीब द्राबू ने अमर उजाला से कहा कि रियासत सरकार के संबंधित आदेश को राष्ट्रपति प्रतिहस्ताक्षरित करेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि अब एक जुलाई से यह व्यवस्था पूरे देश के साथ लागू नहीं हो पाएगी, लेकिन सप्ताह भर के अंदर जम्मू कश्मीर में भी जीएसटी लागू हो जाएगा। रियासत को आर्थिक रूप से पूरे देश से अलग-थलग होने से बचाने के लिए यह फैसला लिया गया है। इस संबंध में जरूरी प्रशासनिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
उन्होंने कहा जम्मू कश्मीर का अपना अलग संविधान है और रियासत सरकार को टैक्स लगाने तथा उसकी वसूली का अधिकार हासिल है। इस व्यवस्था के कारण जम्मू कश्मीर में संविधान से 101वें संशोधन को सीधे लागू नहीं किया जा सकता है। रियासत के विशेष दर्जा को बरकरार रखने के लिए कारगर व्यवस्था की गई है। रियासत सरकार ने आम सहमति के लिए लगातार कोशिश की लेकिन कुछ लोग इस मुद्दे को सियासी रंग देने की कोशिश में जुट गए। विपक्ष वित्तीय स्वायत्तता की बाबत सवाल उठा रहा था और अलगाववादी अड़े थे। नए कानून के लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया गया, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण वह प्रयास भी सफल नहीं हो पाया।
वहीं, दिल्ली में जीएसटी लागू करने के लिए बुलाए गए विशेष संसद सत्र से इतर जम्मू कश्मीर के वित्तमंत्री हसीब द्राबू ने जानकारी दी कि जम्मू-कश्मीर में 6 जुलाई से जीएसटी लागू हो सकता है। उन्होंने कहा कि 4 जुलाई से बुलाए जा रहे विधानसभा के विशेष सत्र में जीएसटी बिल के 5 जुलाई को पास होने की उम्मीद है, उसी दिन ये बिल राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाएगा औरराष्ट्रपति के दस्तखत के बाद 6 जुलाई से जम्मू-कश्मीर राज्य भी ‘वन नेशन, वन टैक्स’ की व्यवस्था को अपना लेगा।
नया कानून बनता तो फिर संविधान संशोधन की जरूरत होती
रियासत के पूर्व वित्त मंत्री और सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग ने कहा कि अगर जम्मू कश्मीर में अलग कानून बनाया जाता तो भारतीय संविधान के दो चैप्टर में संशोधन की मजबूरी होती। उन संशोधनों से जम्मू कश्मीर को टैक्स लगाने का अधिकार देना एक जटिल सियासी प्रक्रिया होती जिससे पूरे देश में एक बखेड़ा खड़ा हो सकता था। जम्मू कश्मीर के संविधान की धारा 5 में भी संशोधन की जरूरत पड़ती जो संभव नहीं है। इस कारण राष्ट्रपति से आदेश से इसे लागू करना सबसे बेहतर कदम है।
जीएसटी लागू नहीं होता तो बढ़ती महंगाई
रियासत में जीएसटी के लागू नहीं होने पर बाहरी राज्यों से आने वाले सामानों और यहां से बाहर जाने वाले सामानों पर दोहरा टैक्स अदा करना मजबूरी होगी जिससे महंगाई बढ़ती। एक टैक्स जीएसटी का और दूसरा रियासत का। रियासत को कम से कम 10 हजार करोड़ का नुकसान तुरंत ही होता। इस कारण रियासत सरकार इसे चार दिनों के अंदर लागू करने के लिए कदम उठा रही है।