एंटीगुआ और बारबूडा सरकार की तरफ से भारत को सूचित किया गया है कि किसी द्विपक्षीय संधि के आभाव में, पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के आरोपी और भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी का प्रत्यर्पण संभव है क्योकि दोनों देश राष्ट्रमंडल देशों के सदस्य हैं.
एंटीगुआ और बारबूडा सरकार का विचार है कि 1993 के प्रत्यर्पण कानून की धारा 7 के तहत इसकी गुंजाईश बनती है कि नई दिल्ली के निवेदन के अनुसार भगोड़े हीरा कारोबारी चोकसी को भारत वापस भेजा जा सके.
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार एंटीगुआ और बारबूडा सरकार की तरफ से यह जानकारी वहां के विदेश मंत्री ई पी चेट ग्रीन और सॉलिसिटर जनरल मार्टिन कमाको ने मुलाकात के दौरान भारतीय राजदूत को दी .
हालांकि सीबीआई ने एंटिगुआ से भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण संबंधी प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है. सीबीआई ने निवेदन संयुक्त राष्ट्र संघ के भ्रष्टाचार विरुद्ध सम्मेलन (UNCAC) के नियमों के तहत की है जिसके प्रति दोनों ही देश बाध्य हैं.
भारत को यह रास्ता इसलिए अपनाना पड़ रहा है, क्योंकि एंटीगुआ और भारत के बीच प्रत्यर्पण को लेकर किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं है. हालांकि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र संघ के भ्रष्टाचार विरुद्ध सम्मेलन (UNCAC) के तहत आते हैं. सीयोल में हुए जी20 सम्मेलन के दौरान भारत ने UNCAC संधि पर सहमति जताते हुए इस पर हस्ताक्षर किए थे और एंटीगुआ ने भी इस पर दस्तखत किए हैं. इसके तहत UNCAC पर हस्ताक्षर करने वाले देशों को संयुक्त राष्ट्र की संधि को मानना होगा और उसे अपने यहां लागू करना होगा.
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