टीम इंडिया के पूर्व मध्यक्रम के बल्लेबाज राहुल द्रविड़ तकनीकी तौर पर बहुत ही मजबूत थे और उन्हें टीम इंडिया की दीवार कहा जाता था। राहुल टेस्ट हो या फिर वनडे दोनों ही प्रारूप में सफल थे और इन दोनों ही फॉर्मेट में उनके 10 हजार से ज्यादा रन है, लेकिन उन्होंने खुद ही कहा है कि वो जिस तरह से धीमी बल्लेबाजी करते थे उसे देखते हुए आज की इंटरनेशनल क्रिकेट में बने रहना मुश्किल होता।
द्रविड़ ने कहा कि डिफेंस टेकनिक का महत्व कम जरूर होता जा रहा है, लेकिन इसका अस्तित्व बना रहेगा। उन्होंने कहा कि वनडे क्रिकेट में विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे बल्लेबाजों ने कई नए कीर्तिमान स्थापित कर दिए हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में चेतेश्वर पुजारा जैसे बल्लेबाजों की हमेशा ही जरूरत रहेगी। जहां तक मेरी बात है तो मैं शुरू से ही टेस्ट प्लेयर बनना चाहता था और उन्हें रक्षात्मक बल्लेबाज कहलाने में कोई गुरेज नहीं है। उन्होंने पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर के साथ ईएसपीएन क्रिकइन्फो वीडियोकास्ट में ये बातें कहीं।
द्रविड़ ने कहा कि मैं वीरेंद्र सहवाग की तरह बल्लेबाजी नहीं करना चाहता था या फिर उस तरह से शॉट नहीं खेलना चाहता था क्योंकि मेरी तकनीक अलग थी और ये पूरी तरह से एकाग्रता और प्रतिबद्धता से जुड़ा था और मैंने इस पर काम किया। उन्होंने कहा कि मैंने 300 से ज्यादा वनडे मैच खेले इसका मतलब ये है कि मेरी भूमिका सिर्फ विकेट बचाने तक ही सिमित नहीं थी। जाहिर है पर मैं जिस तरह से बल्लेबाजी करता था अगर आज के दिनों में वैसी बल्लेबाजी करता तो मैं टीम में टिक नहीं पाता। आज का स्ट्राइक रेट देखो। वनडे क्रिकेट में मेरा स्ट्राइक रेट सचिन तेंदुलकर या सहवाग जैसा नहीं था लेकिन तब हम उसी तरह से क्रिकेट खेला करते थे।
द्रविड़ ने कहा कि मैं अपनी तुलना विराट कोहली या रोहित के साथ नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने वनडे के प्रतिमानों को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। सच तो ये है कि मैं एक टेस्ट खिलाड़ी बनने की सोच के साथ ही करियर में आगे बढ़ा था। बेशक क्रिकेट अब एक बड़े स्कोर वाला खेल बन गया है, लेकिन रक्षात्मक बल्लेबाजी का महत्व हमेशा बना रहेगा खास तौर पर टेस्ट क्रिकेट में। उन्होंने कहा कि विराट, केन विलियमसन, स्टीव स्मिथ का डिफेंस काफी मजबूत है। इसके अलावा उन्होंने पुजारा को बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाज कहा।