रोशनाबाद जिला कारागार में कैदियों के दो गुटों में हुए झगड़ा से मची अफरा-तफरी…

रोशनाबाद जिला कारागार में कैदियों के दो गुटों में झगड़ा हो गया। एक कैदी ने दूसरे को धारदार वस्तु से बुरी तरह गोद डाला। जिससे अफरा-तफरी मच गई। मारपीट में कुछ अन्य कैदी भी जख्मी हुए हैं। घायल कैदियों का जेल के भीतर अस्पताल में उपचार चल रहा है। घटना से दोनों गुटों में रंजिश बढ़ गई है।

लक्सर में वर्ष 2014 में खनन कारोबारी की हत्या के मामले में अरुण कुमार और बालिस्टर आदि कई लोग आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के योगेश को भी दोहरे हत्याकांड में उम्रकैद की सजा हुई है। दोनों अपने साथियों के साथ जिला कारागार में बंद हैं। उनके बीच किसी बात को लेकर जेल में ही तनाव शुरू हो गया।

कई बार गाली-गलौज और हाथापाई तक की नौबत आई। बताया गया है कि शाम के समय अरुण सोया हुआ था। उसी दौरान योगेश ने किसी नुकीली व धारदार चीज से उस पर हमला कर दिया। अरुण के चिल्लाने पर उसके साथी भी आ गए। इसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट हुई और कुछ और कैदी भी घायल हो गए।

जेल अधिकारियों ने दोनों गुटों को डांट फटकार कर शांत कराया। अरुण को लहूलुहान हालत में जेल के अस्पताल में भर्ती कराया गया। अरुण को चाकू से गोदने के बात सामने आ रही है। हालांकि जेल अधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं। अलबत्ता जेल में अचानक हुई इस गैंगवार से कई सवाल खड़े हो गए हैं।

दोनों गुटों में रंजिश बढ़ने से किसी घटना की पुनरावृत्ति होने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। वहीं जेलर एसएम सिंह का कहना है कि बंदियों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था। वीआइपी सूटकेस के प्लांट में इस्तेमाल होने वाली किसी नुकीली वस्तु से एक बंदी ने दूसरे पर हमला कर दिया था। घायल कैदी का उपचार करा दिया है। दोबारा ऐसी घटना न हो, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

पेशी व मुलाकात में भी आती है दिक्कत

स्थानीय पुलिस इन्हें अन्य जिलों की जेलों में दाखिल तो कर देती है, लेकिन रिमांड या सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेशी पर लाने के लिए उन्हें फिर संबंधित जिले में लाना पड़ता है। ऐसे में पुलिस फोर्स को भी गैर जनपदों तक की भागदौड़ करनी पड़ती है। यही नहीं कैदियों के परिजनों को भी मुलाकात के लिए जिले से बाहर तक की दौड़ लगानी पड़ती है।

खुद की जेल न होने से अन्य जेलों पर निर्भर पांच जिले

सूबे के आठ जिलों में जेल बंदियों के बोझ से कराह रही हैं। हल्द्वानी, देहरादून व हरिद्वार की जेलों में तो क्षमता से तीन गुने अधिक बंदी रखे गए हैं। इसकी प्रमुख वजह है प्रदेश के पांच जिलों में जेल का न होना। जिसके चलते इन जिलों के बंदी गैर जिलों की जेल में भेज दिए जाते हैं।

पिछले सप्ताह केंद्रीय कारागार सितारगंज में पांच कैदी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। संक्रमित बंदियों को इलाज के लिए कोविड केयर सेंटर भेज कर बैरक के अन्य बंदियों को क्वारंटाइन कर दिया गया। मगर सवाल यह है कि क्या इससे प्रदेश की जेलों से खतरा टल गया। शायद नहीं, वह इसलिए कि जेलों में अब भी क्षमता से अधिक बंदी रखे गए हैं। जिनके बीच शारीरिक दूरी का पालन कराने में जेल प्रशासन को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसका प्रमुख कारण सूबे के पांच जिलों बागेश्वर, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चंपावत व रुद्रप्रयाग में जेलों का न होना भी है। यहां से पकड़े गए अपराधियों को आसपास के जिलों की जेलों में रखा जाता है।

नई जेल स्थापित करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में

अपर पुलिस महानिदेशक कारागार डॉ. पीवीके प्रसाद के मुताबिक, जेलों में उपलब्ध संसाधनों में बेहतर तरीके से व्यवस्था नियोजन का प्रयास किया जा रहा है। पांच जिलों में जहां जेल नही है, वहां जेल स्थापित करने की प्रकिया अंतिम चरण में है। वहीं किच्छा में भी जेल निर्माण का काम प्रस्तावित है।

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