आज लखनऊ रंगमंच के दर्शकों के लिए यह बिलकुल अनूठा अनुभव था जब हारमोनियम ,ढोलक और नक्कारे की थापों के बीच नौटंकी की दोहे, चौबोले, लावणी और लोकगीतों के सुंदर समन्वय में शेक्सपियर द्वारा सोलहवीं सदी में लिखे गए नाटक ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ का मंचन लखनऊ फिल्म फोरम, विविध सेवा संस्थान और भारतेंदु नाट्य अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में किया गया ।
वरिष्ठ रंगकर्मी और नौटंकी विधा में लंबा अनुभव रखने वाले आतमजीत सिंह के कुशल निर्देशन में इसका मंचन नौटंकी शैली में ‘दयावान व्यापारी उर्फ वफादार औरत’ के तौर पर हुआ विषय वस्तु कुन्तपुर के व्यापारी विश्वकेतू उसके मित्र आकाश ,व्यापारी कज्जल सेठ, स्वर्गीय हो चुके सुंदरगढ़ के धनी व्यापारी की पुत्री अवंतिका और एक घर से भागे प्रेमी जोड़े सूरज ज्योति के इर्द-गिर्द घूमती है ।नाटक जहां एक तरफ न्याय प्रक्रिया में मानवीय मूल्यों के महत्व को रेखांकित करता है।
विलियम शेक्सपियर के नाटक का नौटंकी शैली में रूपांतरण शेषपाल सिंह ने किया है । नाटक में प्रमुख भूमिका में वरिष्ठ रंगकर्मी देवाशीष मिश्रा (कज्जल सेठ), श्रेया अवस्थी (अवंतिका), शुभम सिंह चौहान (आकाश), सुजीत सिंह यादव ( विश्वकेतु ), गगनदीप सिंह डड़ियाल (सूरज), सुप्रिया चटर्जी( श्यामा), किशन मिश्रा, उदय प्रताप सिंह ( सूत्रधार ),ज्योति सिंह, भार्गवी तिवारी, शुभ्रा पांडे ( सेविका ), अविनाश कुमार ( राजा ), अभिजीत कुमार सिंह( राजकुंवर), हिमांशु अग्रवाल (सेवक), आशुतोष (दरबान), शुभम तिवारी आदि वहीं हारमोनियम पर मोहम्मद जुबैर, नक्कारे पर मोहम्मद सिद्दीक खान एवं ढोलक पर मुन्ना खान थे । मंच प्रबंधन एवं संगीत संचालन सरबजीत सिंह का था ।
प्रस्तुति देखने के लिए प्रख्यात रंगकर्मी प्रो. राज बिसारिया, भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रवि खरे, लखनऊ फिल्म फोरम की अध्यक्ष रेणुका टंडन, सदस्य वंदना अग्रवाल और अंजु नारायण समेत अन्य लोग मौजूद रहे।