खुदरा महंगाई दर के मामले में आम आदमी को राहत मिलने के बाद कारोबारियों को भी महंगाई को लेकर राहत मिल गई है. फरवरी महीने में सालाना थोक महंगाई दर (WPI) 2.48 फीसदी पर आ गई है. यह लगातार तीसरा महीना है, जब डब्लूपीआई के आंकड़े राहत भरे रहे हैं.
केंद्र सरकार ने बुधवार को डब्लूपीआई के आंकड़े जारी किए. पिछले साल नवंबर महीने में 8 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचने के बाद डब्लूपीआई नीचे आया. नवंबर महीने से लेकर फरवरी तक डब्लूपीआई राहत देने वाला साबित हुआ है. जनवरी महीने में डब्लूपीआई 2.84 फीसदी था. फरवरी में घटकर यह 2.48 फीसदी पर आ गया है.
फरवरी महीने के थोक महंगाई दर के आंकड़े रॉयटर्स पोल के अनुमान के करीब आए हैं. रॉयटर्स पोल में फरवरी महीने में इसके 2.50 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था. खाद्यान की थोक कीमतें फरवरी में साल-दर-साल के आधार पर 0.07 फीसदी रही. पिछले महीने यह दर 1.65 फीसदी रही थी.
सब्जियों और खाद्यान्न उत्पादों के दामो में कमी आने से थोक महंगाई दर के मामले में राहत मिली है. इसके अलावा पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर मिली राहत ने भी डब्लूपीआई को नियंत्रित करने में मदद की है.
क्या है थोक महंगाई दर
सरकार अपने स्तर पर अलग-अलग एजेंसियों और सूचकांकों के जरिये महंगाई मापती है. महंगाई मापने के बाद एक निश्चित समय पर आंकड़े जारी किए जाते हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि देश में महंगाई का क्या हाल है.
आम जन-जीवन में घटने और बढ़ने वाली महंगाई को खुदरा मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के जरिये मापा जाता है. जब भी सीपीआई के आंकड़े पेश किए जाते हैं, तो इसमें महंगाई बढ़ने और घटने की वजहें भी गिनाई जाती हैं.
दूसरी तरफ, जब कारोबार के क्षेत्र में महंगाई मापी जाती है, तो इसके लिए थोक महंगाई सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) का इस्तेमाल किया जाता है. ये आंकड़े हर महीने पेश किए जाते हैं. इन आंकड़ों को अक्सर 12 से 15 तारीख के बीच जारी किया जाता है.
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