निमोनिया फेफड़ों का गंभीर संक्रमण है, जो वायरस, बैक्टीरिया या फंगस किसी भी कारण से हो सकता है। इसके कारण तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत और सीने में दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। बुजुर्गों और पहले से ही सांस की समस्याओं के शिकार लोगों के लिए ये बीमारी खतरनाक और जानलेवा तक हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में हर साल 5 साल से कम उम्र के लगभग 7 लाख बच्चों की मौत निमोनिया से होती है। ठंड के मौसम में इस बीमारी का प्रकोप अधिक देखा जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी माता-पिता को इन दिनों में बच्चों को निमोनिया से बचाने के उपाय करते रहने की सलाह देते हैं।
ठंड के दिनों में बढ़ जाता है निमोनिया का खतरा
हार्वर्ड मेडिसिन की रिपोर्ट से पता चलता है कि ठंड के दिनों में बच्चे घरों में अधिक समय बिताते हैं, जिससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा इस मौसम में धूप से मिलने वाले विटामिन डी की कमी, प्रदूषण और धुएं का संपर्क भी बच्चों के फेफड़ों को कमजोर बनाता है। खराब भोजन, गंदा पानी और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी स्थितियां निमोनिया संक्रमण को और भी आसान बना देती हैं।
आइए जानते हैं कि इससे बचाव के लिए कौन से उपाय किए जा सकते हैं?
क्या कहते हैं श्वसन रोग विशेषज्ञ?
ठंड के कारण निमोनिया नहीं होता, बल्कि यह मौसम ऐसी स्थितियां पैदा कर देता है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। हवा में बढ़ता सूखापन सांस की नली और फेफड़ों में जलन पैदा करती है, जिससे उनमें संक्रमण होने का जोखिम हो सकता है। इसके अलावा लोग ठंड से बचाव के लिए घरों के अंदर रहते हैं, यहां एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा डायबिटीज, सीओपीडी और अस्थमा जैसे मरीजों के इस बीमारी से ग्रस्त होने का जोखिम अधिक हो सकता है। निमोनिया वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकता है, पर बच्चों और बुजुर्गों में इसका जोखिम सबसे अधिक देखा जाता रहा है। निमोनिया से बचे रहने के लिए कुछ उपाय जरूर किए जाने चाहिए।
निमोनिया से बचाव के लिए लगवाएं वैक्सीन
निमोनिया से बचाव के टीका लगवाना सबसे अच्छे और प्रभावी तरीकों में से एक है। डॉक्टर की सलाह पर न्यूमोकोकल और इन्फ्लूएंजा वैक्सीन की मदद से संक्रमण की गंभीरता को कम करने में मदद मिलती है। जन्म के बाद समय पर सभी वैक्सीन लगवाना बच्चे की सुरक्षा की सबसे मजबूत दीवार मानी जाती है। इसके अलावा छोटे बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए ठंड से बचाना जरूरी है। बच्चे का शरीर गर्म रखें। बच्चे के हाथ बार-बार धोना, खिलौने साफ रखना और संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखना संक्रमण रोकने में मदद करता है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
डॉक्टर बताते हैं, निमोनिया से बचाव के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी माना जाता है। अच्छी तरह हाथ धोना, मास्क पहनना और फ्लू जैसी बीमारी वाले लोगों के संपर्क में आने से बचने के तरीके अपनाकर आप संक्रमण के खतरे को काफी कम कर सकते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि मां का दूध 6 महीने तक बच्चे की प्रतिरक्षा को मजबूत रखता है। इसमें मौजूद इम्युनोग्लोबुलिन्स, एंटीबॉडी बच्चे को संक्रमण से बचाते हैं इसलिए नवजात बच्चों को मां का दूध ही दें। बड़े बच्चों को विटामिन सी, विटामिन डी और जिंक से भरपूर आहार देना चाहिए, जो फेफड़ों की मजबूती बढ़ाते हैं। अगर किसी को कुछ दिनों से बलगम के साथ खांसी और बुखार की दिक्कत है, सांस की तकलीफ है जो सामान्य गतिविधियों को करते समय अधिक हो जाती है या फिर सीने में दर्द बना रहता है तो इस बारे में डॉक्टरी सलाह जरूर ले लें।
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