वट सावित्री पूजा 10 जून को है. व्रत में बड़ के पेड़ के नीचे सुहागिनें सत्यवान और सावित्री की कथा सुनती हैं. इस कथा में सावित्री सत्यवान के प्राणों की रक्षा यमराज से करती हैं. कथा के अनुसार अल्पायु पति सत्यवान को सावित्री वट के पेड़ के नीचे लिटा देती हैं. वहां वे देखती हैं कि यमराज उनके पति के प्राणों को लेकर जा रहे हैं. सावित्री उनके पीछे चल देती हैं. यमराज उन्हें मना करते हैं. वे नहीं मानती हैं. कहती हैं कि पति के साथ रहना उनका धर्म ळै. इस पर यमराज उन्हें तीन वर मांगने के लिए कहते हैं. 
सावित्री तीन वरों में सास-ससुर के लिए आंखों की ज्योति, खोया हुआ राज्य और अपने लिए पति सत्यवान के सौ पुत्रों की मां होने का वरदान मांगती हैं. उनके वरदानों से प्रसन्न होकर यमराज उनके पति के प्राणों को छोड़ देते हैं. इस प्रकार सावित्री पति सत्यवान की रक्षा कर पाती हैं.
वट सावित्री की पूजा में बड़ के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है. सुहागिनें वट सावित्री की पूजा कर सुख सौभाग्य और श्रेष्ठ संतान का वर प्राप्त करती हैं.
इस पूजा में सुहागिनों की आस्था और विश्वास देख धनधान्य की देवी प्रसन्न होती हैं. सुहागिनों को सर्वसुख देती हैं.
वट की पूजा में स्त्रियां सोलह श्रृंगार के साथ शामिल होती हैं. इससे माता लक्ष्मी की प्रसन्न होती हैं. सावित्री की कथा हमें सिखाती है कि अपने परिवार और प्रियजनों के लिए किसी भी स्तर पर संघर्ष किया जाना चाहिए. लक्ष्मीजी आस्था भक्ति और भाव से प्रसन्न होती हैं.
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features