दविंदर सिंह कांग जेवलिन थ्रो (भाला फेंक) वर्ल्ड चैंपियनशिप्स के फाइनल में क्वालीफाई करने वाले भारत के पहले एथलीट बन गए हैं, जबकि उनके हमवतन नीरज चोपड़ा क्वालिफिकेशन राउंड में ही बाहर हो गए।
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क्वालिफिकेशन राउंड ग्रुप बी में प्रतिस्पर्धा करने वाले कांग ने गुरुवार को कंधे में चोट के बावजूद स्वचालित योग्यता के लिए तय 83 मीटर के मार्क को अपने तीसरे और अंतिम थ्रो में पार कर लिया। उन्होंने तीसरे थ्रो में 84.22 मीटर की दूरी पर भाला फेंका। वहीं पहले थ्रो में कांग ने 82.22 मीटर जबकि दूसरे थ्रो में 82.14 मीटर की दूरी तय की।
26 वर्षीय पंजाब के एथलीट दविंदर अपने अंतिम थ्रो से पहले दबाव में थे क्योंकि उन्हें 83 मीटर की दूरी पर थ्रो करना था। वो थ्रो करने वाले आखिरी एथलीट थे। कांग ने जेवलिन को अंतिम प्रयास में 84.22 मीटर की दूरी पर फेंककर क्वालीफाई किया और भारतीय खेमे में खुशी की लहर दौड़ा दी।
बता दें कि ग्रुप ‘ए’ से पांच जबकि ग्रुप ‘बी’ से सात यानी कुल 13 एथलीटों ने 83 मीटर के स्वचालित क्वालिफिकेशन मार्क को क्रॉस करके फाइनल राउंड में जगह बनाई। फाइनल राउंड 12 अगस्त को शुरू होगा।
दविंदर ने दिया भावनात्मक बयान
भारत के लिए बड़े गर्व की बात है कि पहली बार किसी जेवलिन थ्रोअर ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में क्वालीफाई किया है। इससे पहले कोई भारतीय एथलीट ऐसी उपलब्धि हासिल नहीं कर सका था।
इवेंट पूरा होने के बाद कांग ने कहा, ‘जब पता चला कि नीरज क्वालीफाई नहीं कर पाया है तो मुझे हर हाल में क्वालीफाई करना था। मैं देश के लिए कुछ करना चाहता हूं। मैं ऐसा कुछ करना चाहता था जो देश के किसी एथलीट ने पहले नहीं किया था। भगवान का शुक्र है कि मैं देश के लिए कुछ करने में कामयाब रहा।’
अपने कंधे की चोट के बारे में कांग ने कहा, ‘मई में इंडियन ग्रैंड प्रिक्स के दौरान मुझे चोट लगी थी, लेकिन ये बड़ी परेशानी नहीं है। मेरी टीम ने स्ट्रेप लगा दिए और अभी मैं ठीक हूं। अब मेरा पूरा ध्यान फाइनल पर है, जहां मैं अपना बेस्ट परफॉरमेंस देना चाहता हूं।’
बता दें कि कांग जून में गांजा लेने के लिए दोषी पाए गए थे, लेकिन उन्हें 25 सदस्यीय भारतीय टीम में शामिल किया गया था। कांग को इसलिए शामिल किया गया था क्योंकि वाडा के नियमों के मुताबिक प्रतिबंधित पदार्थ विशेष लिस्ट में आता है और इससे स्वचालित निलंबन नहीं होता।
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