
इनके पास सन् 1938 की बीएसए (बिरमिंगम स्मॉल आर्म्स ) कंपनी की एम 20 बाइक है, जिसका प्रयोग दूसरे विश्व युद्घ में भी किया गया। विंटेज के शौकीन यह पुलिस कर्मी न केवल इस बाइक को लेकर चर्चाओं में है, बल्कि सन् 1938 की विंटेज साइकिल और कई देशों के विंटेज सिक्कों को भी सहेजकर इन्होंने रखा है।
क्राइम ब्रांच में साइबर एक्सपर्ट के तौर पर पहचाने जाने वाले नरेंद्र ओल्ड इज गोल्ड के दीवाने हैं। इस शौक को पूरा करने के लिए वे अपनी तन्ख्वाह और बेहतर कार्य के लिए पुलिस विभाग से मिले रिवार्ड का बड़ा हिस्सा खर्च कर डालते हैं। इनका सपना विंटेज गाड़ियों के अलावा अन्य सामान के लिए म्यूजियम बनाना है, ताकि बदलते दौर में इतिहास को भी याद रखा जा सके।
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इस बाइक के माध्यम से छोटे आर्म्स एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाए जाते थे। आगरा डिवीजन के आर्मी चीफ इस बाइक पर बैठकर आगरा से दिल्ली के बीच सफर तय करते थे। मुंबई की एक फाइनेंस कंपनी ने 1950 में बाइक रजिस्टर्ड कराई थी। इस कंपनी से नरेंद्र ने खरीद ली।
500 सीसी की बाइक है, जो 13 किलोमीटर प्रति लीटर का एवरेज देती है। इसके साथ बाइक में माइलेज मीटर है। जो यह बताता था कि टैंक में कितना पेट्रोल है और कितने किलोमीटर और चलेगी । इसके साथ बाइक में 15 लीटर वाले दो कैन पेट्रोल रख सकते हैं। बाइक का 195 किलो वजन है। जिसमें दो स्टैंड है। इसके साथ टंकी के ऊपर एयर फिल्टर लगाया गया है। जिससे 4 से 5 फुट पानी में भी बाइक बंद नही होगी।
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