देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले घोषित 1,762 कर्जदारों से 25,104 करोड़ रुपये वसूलने हैं. ऐसे कर्जदारों के पास देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कुल फंसे कर्ज का 27 प्रतिशत अकेले एसबीआई को वसूलना है. ये आंकड़े इस साल 31 मार्च तक के हैं.बड़ी खबर: विदेशी मुद्रा भंडार को सितंबर तक मिल सकता है 400 अरब डॉलर का बड़ा प्रॉफिट…
इस सूची में अगला नाम पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) का आता है. उसके 1,120 घोषित डिफॉल्टरों के पास बैंक का 12,278 करोड़ रुपये फंसा है. इस तरह ऐसे बकाएदारों के पास सकरी बैंकों के फंसे कर्ज का 40 प्रतिशत यानी 37,382 करोड़ रुपये इन्हीं दोनों बैंकों के हिस्से का है.
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के अंत तक जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 92,376 करोड़ रुपये का बकाया था. इससे पिछले वित्त वर्ष 2015-16 के अंत तक यह आंकड़ा 76,685 करोड़ रुपये था. इस तरह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में 20.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
इसी के साथ सालाना आधार पर विल्फुल डिफॉल्टरों की संख्या में 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. मार्च के अंत तक डिफॉल्टरों की संख्या बढ़कर 8,915 पर पहुंच गई है जो इससे पिछले वित्त वर्ष के अंत तक 8,167 थी. जानबूझकर कर चूक के 8,915 मामलों में से बैंकों ने 32,484 करोड़ रुपये के 1,914 मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराई है.