लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा के पहले सत्र का पहला दिन आज जमकर हंगामे हुआ। समाजवादी पार्टी के साथ ही बसपा व कांग्रेस के विधायक प्रदेश में खराब कानून-यवस्था को लेकर हंगामा कर रहे हैं। इस दौरान राज्यपाल राम नाईक पर भी कागज के टुकड़े फेंके गए। वहीं विधान परिषद में भी विपक्ष ने काफी हंगामा किया। इस दौरान वेल में नारेबाजी भी की गई। जिसके कारण सदन की आगे की कार्यवाही कल तक स्थगित कर दी गई है।
लखनऊ में आज विधानसभा की कार्यवाही शुरु होते ही हंगामा होने लगा। प्रदेश की खराब काननू व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष लामबंद दिखा। हंगामा के दौरान राज्यपाल राम नाईक के ऊपर विपक्ष ने कागज के टुकड़े फेंके। कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर समाजवादी पार्टी के विधायको ने हाथ में बैनर और तख्ती लेकर प्रदर्शन और हंगामा किया। विपक्षी विधायक सदन में प्लेकार्ड लेकर आए थे। राज्यपाल का अभिभाषण शुरू होते ही समाजवादी पार्टी के विधायकों ने उनकी ओर कागज के गोले फेंके। सदन में विधायकों के व्यवहार से राज्यपाल नाईक नाराज हो गए।
उन्होंने कहा कि समूचा उत्तर प्रदेश आपको देख रहा है। विधायकों का सदन में यह व्यवहार उचित नहीं है। इसके बाद राज्यपाल ने भारी हंगामे के बीच अभिभाषण जारी रखा। राज्यपाल राम नाईक ने हंगामे और नारेबाजी के दौरान ही अपना संबोधन पूरा किया। विपक्ष के हंगामे पर कैबिनेट के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि हम आशा करते हैं कि विपक्ष अपनी सकारात्मक भूमिका निभाएगा। सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा सरकार खुद राज्य की कानून-व्यवस्था बेहतर नहीं कर पाई और हमसे 50 दिनों की रिपोर्ट मांगी जा रही है। इससे पहले राज्यपाल राम नाईक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी विधानभवन में पहुंचे। राष्ट्रगान के बाद विधानसभा की कार्यवाही शुरु की गई।
जिस कानून व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बना कर बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की सत्ता को हासिल किया उसी व्यवस्था को मुद्दा बनाकर विपक्ष ने सदन में हंगामा कर दिया। भले ही सर्वदलीय बैठक में विपक्षी नेता औपचारिकता निभाते हुए शामिल हुए थे लेकिन सत्र के दौरान उनके तल्ख तेवर का पहले से ही अंदाजा लगाया जा रहा था। विपक्ष के विरोध को झेलने के लिए बीजेपी की पूरी तैयारी है। नए विधायकों को सदन में व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया गया है। सरकार भी करीब 2 महीने के शासनकाल के दौरान अपने कामों का खाका पेश करेगी। हालांकि सदन में विपक्ष का संख्या बल महज 74 विधायकों का है लेकिन हाल ही में बुलंदशहर, सहारनपुर, संभल और गोंडा में जातीय और सांप्रदायिक हिंसा को मुद्दा बनाकर सरकार के पक्ष को कमजोर करने की कोशिश होगी। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की हुकूमत कायम होने के बाद सोमवार 15 मई से पहले विधानसभा सत्र की शुरुआत हुई है।
17वीं विधानसभा के गठन के बाद विधानमंडल का आज पहला सत्र है। विधानसभा अध्यक्ष की अगुआई में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में 15 से 22 मई तक के कार्यक्रम की मंजूरी दी गई है। इस बीच सदन की छह बैठकें होंगी। यह सत्र कई मायनों में अहम रहेगा। सत्र के दौरान विधानसभा की कार्यवाही का लोकसभा की तरह दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण होगा। 17वीं विधानसभा का प्रथम सत्र 15 मई से लेकर 22 मई तक चलेगा। विधानमंडल सत्र के मद्देनजर रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सदन को सुव्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए सभी दलों से सहयोग की अपेक्षा की। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि सत्रहवीं विधानसभा के प्रथम सत्र की कार्यवाही को दूरदर्शन के जरिये सीधे प्रसारित करने का फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहमति से जनहित में लिया गया है।
इससे सदन में कार्यदक्षता बढ़ेगी और जनता भी अपने जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली को जान सकेगी। 15 से 22 मई तक प्रस्तावित विधानमंडल सत्र में सरकार उप्र राज्य वस्तु एवं सेवा कर विधेयक भी पेश करेगी। वैसे तो योगी सरकार का विधानसभा में बहुमत है लेकिन विधानपरिषद में समाजवादी पार्टी बहुमत में है। विपक्ष जोरदारहमले में कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहता। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना के अनुसार इसी सत्र में जीएसटी विधोयक भी पारित कराया जाना है। सरकार की कोशिश है इसे जल्द से जल्द पारित करा लिया जाए।