संकटग्रस्त माली के लिए संयुक्त राष्ट्र के नए विशेष दूत अल घासिम वेन ने चेताया है कि देश के मध्य एवं उत्तर में असुरक्षा बढ़ने के ‘गंभीर परिणाम” हो सकते और उन्होंने सेना के नेतृत्व वाली गवर्नमेंट से अगले वर्ष फरवरी में चुनावों की तैयारी करने की मांग की। वेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सोमवार को कहा कि पश्चिम अफ्रीकी देश ”नाजुक मोड़ पर है” और वहां स्थिति ”चुनौतीपूर्ण और निराशाजनक” है।
उन्होंने बोला ”जून 2013 में संकट के चरम पर होने की तुलना में इस समय विस्थापित लोगों की अधिक तादाद है”, कई लोग बहुत मुश्किल परिस्थितियों में रह रहे हैं और मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर भी व्यथित करने वाली रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है। वेन ने बोला है कि माली के कई समुदाय हिंसक आतंकवाद की चपेट में आ चुके है। उन्होंने बोला कि ”कई अतिवादी समूह महिला अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।”
जंहा इस बात का पता चला है कि माली में 2012 के उपरांत से संकट की स्थिति है, जब विद्रोही सेना ने तत्कालीन राष्ट्रपति को अपदस्थ कर दिया था। जिसके उपरांत सत्ता में पैदा हुए खालीपन की वजह से इस्लामी आतंकवाद को बढ़ावा मिला और फ्रांस के नेतृत्व वाले युद्ध ने 2013 में जिहादियों को सेना से अपदस्थ किया जा चुका है। जिसके उपरांत 2015 में गवर्नमेंट, उत्तरी माली में स्वायत्तता की मांग करने वाले गठबंधन समूहों और सरकार समर्थक मिलिशिया के मध्य समझौता हुआ था।
हालांकि आतंकवादी समूहों ने माली की सेना और उसके साथियों पर फिर से हमले करने शुरू कर दिया है। अलकायदा और इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूहों से संबद्ध आतंकवादी माली के उत्तर से अधिक आबादी वाले मध्य में प्रवेश किए जा चुकी है। मिली जानकारी के अनुसार कर्नल असिमी गोइता ने अगस्त 2020 में लोकतांत्रिक रूप से चुने गए माली के राष्ट्रपति को अपदस्थ किया गया था। गोइता ने बीते शुक्रवार को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की। वेन ने कहा कि गोइता और देश के पीएम चोगुएल माइगा ने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को फिर से विश्वास दिलाया है कि वे सत्ता परिवर्तन के लिए फरवरी में चुनाव कराएंगे और उनमें से कोई इस चुनाव में खड़ा नहीं होगा।
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