संघ की विचारधारा पर सवाल खड़े करने वालों को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने जवाब दिया है. नायडू ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिद्धांतों को तो खुद गांधी जी ने भी स्वीकार किया था. गौरतलब है कि राष्ट्रपति का ये बयान उस वक्त आया है, जब संघ के कार्यक्रम में जाने को लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर कुछ कांग्रेसी नेताओं द्वारा निशाना साधा जा रहा है. प्रणब मुखर्जी को नागपुर में संघ के होने वाले वार्षिक समारोह के लिए न्यौता दिया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, ‘मुझे किसी भी इंसान का आरएसएस की सिंद्धातों के साथ आपत्ति जताने का कोई कारण नहीं दिखता है, जबकि इनका उद्देश्य भारतीय मूल्यों और आचार के आधार पर लोगों के चरित्र का निर्माण करना है. ‘ नायडू ने आगे कहा कि संघ की विचाराधारा ‘वैसुधव कंटुबकम’ की ही वकालत करती है, जिसका मतलब है कि दुनिया एक परिवार है.’ 
बार-बार संघ और गांधी जी के विचारों में टकराव की बात करने वालों पर भी वेंकैया ने निशाना साधा. उन्होंने कहा- ‘गांधी जी ने भी संघ के सिद्धांतों को स्वीकार किया था. उन्होंने कहा था कि जब मैं आरएसएस कैंप गया, तब वहां का अनुशासन को देखकर हैरान रह गया. बाद में गांधी जी ने खुद स्वयंसेवकों से इस बारे में बात की और पाया कि वहां (संघ में) मौजूद सभी स्वयंसेवक एक-दूसरे की जाति जाने बिना न सिर्फ साथ रह रहे हैं बल्कि साथ खा भी रहे हैं.’
वेंकैया नायडू ने कहा, ‘मैं आरएसएस से जुड़ा हूं. मैं विश्वास दिला सकता हूं कि संघ का मतलब आत्म अनुशासन, आत्म-सम्मान, आत्मरक्षा, आत्मनिर्भरता, सामाजिक सुधार, सामाजिक चेतना, सामाजिक आंदोलन, निःस्वार्थ सेवा है, और ये सब मूल्य राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित हैं. गौरतलब है कि प्रणब मुखर्जी को आरएसएस के एक समारोह में बुलावा भेजने के बाद बवाल अभी थमा नहीं है.
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