संचार उपग्रह जीसैट-17 का सफल प्रक्षेपण, मौसम के आंकड़े जुटाने में मिलेगी मदद

भारत के आधुनिकतम संचार उपग्रह जीसैट-17 का गुरुवार को एरियन स्पेस के एक भारी रॉकेट के जरिए सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया जो 17 संचार उपग्रहों के समूह को मजबूत करेगा. यह प्रक्षेपण फ्रेंच गुयाना के कौओरू से किया गया.

ट्रंप प्रशासन ने भारत को एक सी-17 मालवाहक विमान बेचने का फैसला किया है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा है कि इस फैसले से भारत की वर्तमान और भविष्य की रणनीतिक हवाई परिवहन की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता में इजाफा होगा.  बोइंग द्वारा 36.62 करोड़ डॉलर की अनुमानित लागत से सी-17 मालवाहक विमान की प्रस्तावित बिक्री में कई उपकरण शामिल है. इसमें एक मिसाइल चेतावनी प्रणाली, एक काउंटर मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम, एक आईडेंटिफिकेशन फ्रेंड ऑर फोई (आईएफएफ) ट्रांसपोंडर तथा सटीक नौवहन उपकरण शामिल हैं. डिफेंस सिक्योरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी ने सोमवार को कांग्रेस को भेजी अधिसूचना में कहा, प्रस्तावित बिक्री भारत की वर्तमान एवं भविष्य की रणनीतिक वायु परिवहन की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता को बेहतर बनाएगी. एजेंसी ने कहा, भारत प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है.  इस अतिरिक्त क्षमता का इस्तेमाल वह मानवीय सहायता और आपदा राहत में भी कर सकेगा. इसके अलावा, इस खरीद के जरिए भारत अपने सैन्य बलों को और त्वरित रणनीतिक लड़ाकू हवाई परिवहन क्षमताएं उपलब्ध करा सकेगा. वर्तमान में भारत सी-17 विमान का परिचालन करता है और अपने सैन्य बलों में इस विमान को शामिल करने में उसे कोई दिक्कत नहीं आएगी. एजेंसी ने कहा कि प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में मूल सैन्य संतुलन में बदलाव नहीं आएगा.     कांग्रेस की अधिसूचना में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि जिस तरह अमेरिका संवेदनशील प्रौद्योगिकी की रक्षा करता है, उसी तरह भारत भी उस प्रौद्योगिकी सुरक्षा कर सकता है. पेंटागन ने कहा, यह प्रस्तावित बिक्री अमेरिका, उसकी विदेश नीति और नीति को न्यायोचित ठहराने संबंधी दस्तावेजों में जिन राष्ट्रीय सुरक्षा लक्ष्यों का जिक्र किया गया है, उन्हें आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है.  पेंटागन के मुताबिक बोइंग सी-17ए ग्लोबमास्टर थ्री सैन्य हवाई परिवहन विमान अमेरिकी वायु सेना में आसानी से शामिल होने वाला मालवाहक विमान है. सी-17 मुख्य परिचालन प्रतिष्ठानों तथा अग्रिम परिचालन स्थानों पर 17,0,900 पाउंड वजन को लाने-ले जाने में सक्षम है. यह विमान कम लंबी पट्टी पर पूरे वजन के साथ उतरने में सक्षम है. यह रणनीति एयर लिफ्ट तथा एयर ड्रॉप अभियानों को अंजाम दे सकता है. इसके अलावा सामान को, मरीजों को लाने-ले जाने का काम भी कर सकता है. पूरी तरह से एकीकृत इलेक्ट्रॉनिक कॉकपिट और आधुनिक माल ढुलाई प्रणाली के चलते इसमें चालक दल के पायलट, सह-पालयट और लोड मास्टर हो सकते हैं.

लगभग 3477 किलोग्राम के वजन वाले जीसैट-17 में संचार संबंधी विभिन्न सेवाएं देने के लिए नॉर्मल सी-बैंड, एक्सटेंडेड सी-बैंड और एस-बैंड वाले पेलोड हैं. इसमें मौसम संबंधी आंकड़ों के प्रसारण वाला यंत्र भी है और उपग्रह की मदद से खोज एवं बचाव सेवाएं उपलब्ध करवाने वाला यंत्र भी. अब तक ये सेवाएं इनसैट उपग्रह उपलब्ध करवा रहे थे.

गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने प्रसारण सेवाओं में देश को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से भूस्थैतिक उपग्रहों की जीसैट श्रृंखला विकसित की है. यूरोपीय प्रक्षेपक एरियन स्पेस फ्लाइट वीए 238 ने कौओरू के एरियन लॉन्च कॉम्प्लेक्स नंबर 3 से उड़ान भरी. कौओरू दक्षिण अमेरिका के पूर्वोत्तर तट पर स्थित एक फ्रांसीसी क्षेत्र है.

इस उड़ान में निर्धारित समय से कुछ मिनट की देरी हुई. भारतीय समयानुसार इसे रात दो बजकर 29 मिनट पर उड़ान भरनी थी. लगभग 39 मिनट की निर्बाध उड़ान में 3,477 किलोग्राम वजनी जीसैट-17 को कक्षा में प्रवेश करवाने से कुछ ही समय पहले उसके सहयात्री हेलास सैट 3-इनमारसैट एस ईएएन को कक्षा में प्रवेश कराया गया.

मिशन के बाद इसरो के मुख्यालय से की गई घोषणा में कहा गया कि फ्रेंच गुयाना के कोऔरू से एरियन-5 वीए-238 के जरिए जीसैट-17 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया. जीसैट-17 का जीवनकाल करीब 15 वर्षों का है. इसरो के हासन स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी ने प्रक्षेपण यान से अलग होने के तुरंत बाद जीसैट-17 का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और उपग्रह के प्रारंभिक निरीक्षण से पता चला कि वह सामान्य तरीके से काम कर रहा है.

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