उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करने के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पूर्व मंत्री आजम खां पर दंडात्मक कार्रवाई किए जाने पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार और आईपीएस से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
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रामपुर में 29 नवंबर, 2015 को आईपीएस अमिताभ ठाकुर के लिए कथित रूप से अभद्र शब्दों का प्रयोग किया गया था। इस मामले में आईपीएस ठाकुर ने सीजेएम कोर्ट में परिवाद दाखिल किया था।
परिवाद के अनुसार, आजम खां ने रामपुर में एक प्रेसवार्ता में अमिताभ के लिए अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया, उन्हें प्रशासनिक अधिकारी के नाम पर कलंक कहा था। साथ ही उन्होंने आरएसएस के लिए भी अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया था।
सीजेएम संध्या श्रीवास्तव ने 13 दिसंबर 2016 को आजम खां के खिलाफ आईपीसी की धारा 500, 504 व 505 के तहत समन जारी किया गया था। उनके द्वारा कोर्ट में उपस्थित नहीं होने पर सीजेएम ने 5 अप्रैल को उनके विरुद्ध 10,000 रुपये के व्यक्तिगत बंधपत्र पर जमानतीय वारंट जारी करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 9 मई तय की थी।
इस संबंध में सपा नेता आजम खां ने परिवाद दायर किया था। आजम ने याचिका में कहा कि अमिताभ ने उनके द्वारा अनुचित शब्दों के प्रयोग के संबंध में किसी बदनीयती की बात नहीं कही है, जबकि किसी भी आपराधिक मामले में बदनीयती जरूरी है। यह भी कहा गया कि उन्होंने समाचारपत्रों को पक्षकार नहीं बनाया है।
याचिका में अमिताभ के परिवाद को खारिज करने की प्रार्थना की गई है। अदालत ने मंगलवार को परिवाद पर सुनवाई के बाद आजम खां को राहत दे दी।
न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल की खंडपीठ ने आजम खां के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार और अमिताभ से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
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