नासा एक ऐसा सेटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी में है, जो धरती पर बर्फ की परतों, ग्लेशियरों और समुद्री बर्फ में होने वाले बदलावों का पता लगाएगा। इस सेटेलाइट में बेहद आधुनिक लेजर उपकरण लगाए गए हैं। इनका अभी तक कभी भी अंतरिक्ष में प्रयोग नहीं किया गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने क्लाउड एंड लैंड एलवेशन सेटेलाइट-2 (आइससेट-2) को लॉन्च करने के लिए 15 सितंबर की तारीख तय की है। प्रति सेकेंड 60 हजार मापों को कैप्चर करने में सक्षम यह सेटेलाइट ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका को ढकी बर्फ की ऊंचाई में औसत बदलाव का पता लगाएगा।
अमेरिका स्थित नासा के साइंस मिशन निदेशालय से माइकल फ्रीलिच कहते हैं, आइससेट-2 के जरिये हमें यह पता चल सकेगा कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका के जलस्तर को बढ़ाने में बर्फ की परतों की कितनी भूमिका है। नासा के बयान के मुताबिक, आइससेट-2 में इस प्रकार की टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है कि वह बर्फ की ऊंचाई में आने वाले परिवर्तन का आसानी से पता लगाने में सक्षम है। इसका एडवांस्ड टोपोग्राफिक लेजर एल्टीमीटर सिस्टम (एटलस) लाइट फोटोन्स के जरिये बर्फ की ऊंचाई में परिवर्तन का पता लगाएगा। इसके लिए स्पेसक्राफ्ट से धरती तक जाने और वापस लौटने में लगे फोटोन्स के समय का इस्तेमाल किया जाएगा।
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