इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने बताया एनआईआईएफ ने अभी तक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश शुरू नहीं किया है और पिछले महीने तक किसी भी विदेशी या घरेलू निवेशक से धन नहीं लिया।
सरकार एनआईआईएफ के लिए धन जुटाने करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, रूस और ब्रिटेन सहित देशों के साथ बातचीत कर रही है। सरकार ने अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीएए), कतर निवेश प्राधिकरण (क्यूआईए) और रूस के रुस्नानो ओजेएससी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन अब तक इनके धन से एनआईआईएफ में निवेश नहीं हुआ है।
पिछले वित्तीय वर्ष में, एनआईआईएफ को प्रशासनिक खर्चों के लिए बजटीय संसाधनों से कुल 15 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। यहां तक कि सरकार ने विदेशी निवेशकों विशेष रूप से मध्य पूर्व देशों के साथ कई चर्चाएं की हैं, लेकिन अब तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसमें अभी तक कोई निवेश क्यों नहीं किया गया।
फरवरी 2016 में इंडिया इनवेस्टमेंट शिखर सम्मेलन में आर्थिक मामलों के विभाग के पूर्व सचिव शक्तिकांत दास ने कहा था कि 2016-17 में और उसके बाद एनआईआईएफ भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए प्रमुख प्रेरणा शक्ति होगा। दास ने कहा था कि एनआईआईएफ भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए विदेशी निवेश लाने वाले संगठन के रूप में उभर कर सकता है।
बता दें 5 अप्रैल, 2017 को भारत और ब्रिटेन ने भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में निवेश के लिए ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फंड लॉन्च करने की घोषणा की थी। दोनों देशों ने संयुक्त निधि में 120 मिलियन पाउंड (कुल 240 मिलियन) तक निवेश करने पर सहमति जताई थी जिसे एनआईआईएफ ढांचे के तहत स्थापित किया जाएगा।