सीएम योगी की निवेश फ्रेंडली नीतियों का ये हुआ असर

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा राज्य में कारोबारी निवेश को बढ़ावा देने के लिए किए प्रयासों का असर अब दिखने लगा है। उद्योग विभाग के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। इन आंकड़ों के अनुसार बीते करीब साढ़े तीन वर्षों में एक लाख 88 हजार करोड़ रुपए का निवेश उत्तर प्रदेश की धरती पर हो रहा है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में करीब 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है। इन दो सेक्टर में हो रहे इतने भारी निवेश से यह साफ हो रहा है कि उत्तर प्रदेश में अब बड़े -बड़े कारोबारियों की कारोबार में पैसा लगाने को लेकर हिचक पूरी तरह से दूर हो गई है। सूबे की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से देश के बड़े कारोबारियों की यूपी में निवेश करने की हिचक दूर हुई है।

राज्य के औद्योगिक विकास आयुक्त रहे आलोक टंडन के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की सत्ता संभालने के बाद जिस तरह से यूपी में औद्योगिक निवेश को लाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया। अलग-अलग सेक्टरों के लिए निवेश फ्रेंडली नीतियां बनाईं उसके चलते ही आज यूपी में देश और विदेश की बड़ी -बड़ी कंपनियां अपनी यूनिट स्थापित करने में रुचि दिखा रही हैं।

मालूम हो कि सीएम योगी ने राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए करीब दर्जन भर अलग-अलग विभागों की नीतियां बनवाईं। करीब 186 सुधारों को लागू किया। जिसके चलते ही बीते साढ़े तीन वर्षों में 156 कंपनियों ने 48 हजार 707 करोड़ रुपए का निवेश कर यूपी में उत्पादन शुरु किया है। इन कंपनियों में एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
आलोक टंडन के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश को लेकर यूपी में कमाल हुआ है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 21 कंपनियों ने करीब दस हजार करोड़ रुपये का निवेश है। इसके आलावा इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग में करीब 32 हजार करोड़ रुपए का निवेश 30 से अधिक कंपनियों ने किया है। आलोक टंडन बताते हैं कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर निवेश करने वाली कंपनियों में स्पर्श इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड ने 600 करोड़ रुपए और रिमझिम इस्पात ने 550 करोड़ का निवेश कानपुर देहात में किया है। केंट आरओ सिस्टम्स लिमिटेड ने 300 करोड़ का निवेश नोएडा में पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने लखनऊ में 205 करोड़ का निवेश किया है। एमएम फॉरगिंग्स प्राइवेट लिमिटेड ने 150 करोड़ का निवेश बाराबंकी में किया है। इन सभी कंपनियों ने उत्पादन भी शुरू कर दिया है।

इसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के मामले में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ने 10 हजार करोड़ रुपए, वीवो मोबाइल्स ने 7,429 करोड़ रुपए, ओप्पो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 2,000 करोड़ रुपए, होलीटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 1,772 करोड़ रुपए, सनवोडा इलेक्ट्रानिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 1,500 करोड़ रुपए, केएचवाई इलेक्ट्रानिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 358 करोड़ और लिआनचुआंग (एलसीई) ने 281 करोड़ का निवेश नोएडा में कर के कार्य शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा निवेश 15 हजार 963 करोड़ रुपए की लागत से रिन्यूअल एनर्जी में 18 कंपनियों ने किया है। इनमें से मीरजापुर जिले में ढाई सौ करोड़ रुपए की लागत से एमप्लस एनर्जी साल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और टेलीकॉम की दो कंपनियों रिलायंस जीओ इंफोकॉम लिमिटेड ने 10 हजार करोड़ रुपए तथा बीएसएनएल ने 5,000 करोड़ रुपए का निवेश कर कार्य शुरू कर दिया है।

आलोक टंडन के मुताबिक, टेक्सटाइल के क्षेत्र में यूपी में बेहतर रिजल्ट मिले हैं। चार कंपनियों ने 6,320 करोड़ का निवेश किया है। इसमें कानपुर टेक्सटाइल के बड़े हब के रूप में उभर रहा है। कानपुर प्लास्टिपैक लिमिटेड ने कानपुर देहात में दो सौ करोड़ रुपए, कानपुर में ही एक और कंपनी आरपी पॉली पैक्स ने डेढ़ सौ करोड़ रुपए का निवेश कर उत्पादन शुरू कर दिया है। इसके अलावा नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन क्लस्टर गौतमबुद्धनगर में 5,000 करोड़ रुपए और क्लेस्टो यार्न बलरामपुर में 970 करोड़ के निवेश से उत्पादन शुरू करने की स्थिति में हैं। गोरखपुर में टेक्सटाइल हब बनाये जाने का प्रस्ताव स्वीकृति हो चुका है। अन्य क्षेत्र में भी भारी निवेश हो रहा है, जिसके चलते अब यूपी में निवेश करने को देश और विदेश के बड़े कारोबारियों का रुझान बढ़ रहा है। आलोक टंडन का कहना है कि सूबे के मुख्यमंत्री के प्रयासों के चलते ही यह संभव हुआ है।

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