सीएम सिटी में आईजी मोहित अग्रवाल की छोटी सी पहल एक बड़े बदलाव की तस्वीर बन गई है। एक महीने की ही कोशिश में जर्जर जीतपुर प्राथमिक विद्यालय अब कान्वेंट स्कूल का शक्ल ले चुका है। स्कूल के भवन के सुंदरीकरण के साथ ही आईजी ने पढ़ाई का स्तर सुधारने का भी जिम्मा उठाया है। सप्ताह में दो दिन स्कूल पहुंचकर वह बच्चों को पढ़ाते हैं। आईजी की पहल का ही असर है कि स्कूल में बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। दाखिले के लिए प्रिंसिपल के पास सिफारिशें आ रही हैं लेकिन स्कूल की क्लास में जगह ही नहीं बची है। इसे देखते हुए परिसर में एक और क्लास रूम का निर्माण भी शुरू हो गया है।अभी अभी: प्रधानमंत्री मोदी का मजाक उड़ाने पर तन्मय भट्ट पर हुई एफआईआर दर्ज
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी जहां कोई भी प्रशासनिक अफसर अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं भेजते है। वहीं आईजी की पहल रोल मॉडल बनकर सामने आई है। जीतपुर विद्यालय को आईजी ने जून में गोद लिया था। तब स्कूल का हैंडपंप भी नहीं चल रहा था। क्लास की दीवारें जर्जर थीं। आईजी के साथ शहर के बड़े कारोबारी नवीन अग्रवाल भी आगे आए। नवीन ने स्कूल के जीर्णोद्धार का जिम्मा उठाया। स्कूल की दीवारों पर पुट्टी लगाकर उसे प्लास्टिक पेंट किया गया। टूटी दीवारों की मरम्मत की गई। प्रधान ने हैंडपंप सही कराया। धीरे-धीरे स्कूल की तस्वीर ही बदल गई। बच्चे गर्मी की छुट्टी के बाद लौटे तो पूरा स्कूल कान्वेंट की शक्ल ले चुका था। आईजी जब पहली बार गए थे तो कक्षा में महज 28 बच्चे थे। अब इस क्लास में 70 बच्चे हो चुके हैं और दाखिले के लिए लाइन भी लग रही है। कुछ यही हाल कक्षा आठ के बच्चों का भी है। इस क्लास में भी 23 की जगह अब 40 बच्चे आ गए हैं।
प्रोत्साहन को रोजाना मिलता है स्टार
रोजाना ही बच्चों से पढ़ाए गए पाठ से सवाल किए जाते हैं। बेहतर जवाब देने वाले तीन बच्चों को रोजाना स्टार मिलता है और स्कूल के बोर्ड पर उनका नाम लिखा जाता है। आईजी के जुनून में बच्चे भी साथ दे रहे हैं और टेस्ट में बेहतर परिणाम के साथ ही रोजाना बोर्ड पर नाम पाने के लिए सही जवाब देने की होड़ मची रहती है। पढ़ाए गए उसी पाठ से टेस्ट भी लिए जा रहे हैं।
टेस्ट पेपर, पेन, कॉपी भी दिया
पहले बच्चे ब्लैकबोर्ड पर सवाल का जवाब देते थे। लेकिन आईजी कान्वेंट स्कूल की तरह ही टेस्ट पेपर देकर परीक्षा भी लेते हैं। हर हफ्ते के टेस्ट में कक्षा 6 के बच्चों के बेहतर रिजल्ट आए हैं लेकिन कक्षा आठ के छात्र अभी काफी पीछे हैं। छात्रों के उत्साह को देखते हुए आईजी ने उनमें पेन, कॉपी भी बांटे हैं।
खुद तैयार करते हैं नोट्स
आईजी स्कूल में पढ़ाने के लिए खुद ही नोट्स तैयार करते हैं। इसके लिए आईजी को भी दो घंटे पढ़ना पड़ता है। कान्वेंट स्कूलों के कोर्स के हिसाब से नोट्स तैयार कर आईजी बच्चों को फोटोकॉपी कराकर उपलब्ध कराते हैं ताकि वह घर जाकर इसे भी पढ़ सकें।
थैंक्यू और गुड मार्निंग बोलने लगे बच्चे
कान्वेंट स्कूलों की तरह ही जीतपुर स्कूल के छात्र भी थैंक्यू और गुड मार्निंग बोलने लगे हैं। स्कूल पहुंची एक संस्था के सदस्यों ने भी जब यह सुना तो वे दंग रह गए और बच्चों को प्रशस्ति पत्र भी दिया।