कश्मीर मुद्दे पर बातचीत करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त किए गए वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा सोमवार को श्रीनगर पहुंच गए. वहीं, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शर्मा के घाटी के दौरे को लेकर कई सवाल उठाए हैं. कांग्रेस कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की कश्मीर को लेकर कोई नीति नहीं है. सुरजेवाला के मुताबिक सरकार को ये साफ करना है कि वार्ताकार के नाते घाटी गए शर्मा के कार्य क्षेत्र और अधिकार क्षेत्र क्या हैं?Attack: चर्च में चली ताबड़तोड़ गोलियां, 26 लोगों की मौत, 20 घायल!
सुरजेवाला ने कहा कि हम बातचीत के खिलाफ नहीं हैं लेकिन सरकार को ये साफ करना है कि पक्षकार कौन हैं? प्रधानमंत्री ने किन पक्षकारों को अधिकृत किया है? बातचीत का स्तर क्या है और बातचीत के अधिकार क्षेत्र को लेकर क्या स्थिति है?
मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुरजेवाला ने कहा, ‘इस सरकार ने ना तो वार्ताकार शर्मा की भूमिका और अधिकार क्षेत्र को साफ किया है और ना पक्षकारों को परिभाषित किया है. इस सब की अनुपस्थिति में किस तरह की बातचीत होगी सिवाय फोटो खिंचवाने के अवसर के? क्या यही सरकार का मकसद है?’
बता दें कि शर्मा जम्मू और कश्मीर में केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि के नाते घाटी के दौरे के दौरान सभी पक्षकारों से संपर्क करेंगे और घाटी में बातचीत की प्रक्रिया को शुरू करने की कोशिश करेंगे. अलगाववादी संगठन पहले ही शर्मा के दौरे को लेकर ठंडा रुख दिखाते हुए बातचीत से अलग रहने का ऐलान कर चुके हैं.
सुरजेवाला ने कहा कि हम बातचीत के खिलाफ नहीं हैं, हम वहां सामान्य स्थिति बहाल देखना चाहते हैं. देश के संविधान के दायरे में रहते हुए हर उस पक्ष से बात की जानी चाहिए जो प्रभावित है. संविधान के दायरे से बाहर किसी व्यक्ति या संगठन से कोई बात नहीं हो सकती. एक इंच पर भी समझौता नहीं किया जा सकता. सरकार ने ना तो वार्ताकार की भूमिका को साफ किया है और ना ही पक्षकारों को परिभाषित किया है. इसे क्यों नहीं सार्वजनिक किया जा रहा? इसे टॉप सीक्रेट बनाकर क्यों रखा जा रहा है?
सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर कश्मीर को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं रखने का आरोप लगाया. सुरजेवाला ने कहा कि त्रासदी ये है कि जम्मू और कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मोदी सरकार की ना कोई नीति है, ना दिशा है और ना ही दूरदृष्टि. सच ये है कि हमारे जवान, हमारे सिपाही मातृभूमि की रक्षा के लिए शहीद हो रहे हैं. ऐसे में बुनियादी सवाल यही है कि नीति क्या है और आगे बढ़ने का रास्ता क्या है?