सेक्स लाइफ हो जाएगी फुस्स, अगर लगातार करते रहे वो वाला काम , बदलती जीवनशैली लोगों के पिता बनने की काबिलियत छीन रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से किए जा रहे शोध में ये निष्कर्ष सामने आया है। इसके अनुसार, ड्रग्स, केमिकल, नशीले पदार्थों का सेवन और आधुनिक जीवनशैली दांपत्य जीवन में जहर घोल रहे हैं। इसके कारण सूबे के करीब 17 फीसद लोग नपुंसकता के शिकार हो रहे हैं।

30 की उम्र के बाद इन बदलावों को अनदेखा न करें मर्द, वरना पछताएंगे
शोध में खुलासा हुआ है कि दांपत्य जीवन के आरंभ में परिवार के सदस्य एक-दो साल संतान के इंतजार में गुजार देते हैं। उन्हें नपुंसकता का पता तब होता है, जब नीम-हकीम से परामर्श लेते हुए डाक्टर के पास जांच कराने पहुंचते हैं। तब तक इतना समय गुजर चुका होता है कि संतानोत्पत्ति लगभग असंभव हो जाती है।
खेतों में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के छिड़काव से जहर का अंश शरीर में स्पर्म निर्माण को बाधित करता है। कम उम्र अथवा युवा अवस्था में नशे का अधिक सेवन करने से गुण सूत्र की कमी होने लगती है। आधुनिक जीवनशैली में युवा तनाव से ग्रसित हो रहे हैं, जिसका असर शरीर में शुक्राणु निर्माण तंत्र पर पड़ता है। देर से शादी की प्रचलन भी एक कारण है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2013 में पुरुषों में नपुंसकता के कारणों के अध्ययन की परियोजना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना के पैथलॉजिकल विभागाध्यक्ष डा. अजीत कुमार सक्सेना को सौंपी थी।
मेरा सब कुछ लूट गया, भाई साहब..! पत्नी ने किसी लायक नहीं छोड़ा
शोध में 17 प्रतिशत पुरुषों में नपुंसकता की बात सामने आई है। इसमें अनुवांशिक बीमारी, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, मादक पदार्थ और तनाव भरी जिंदगी नपुंसकता के मुख्य कारण के रूप में उभरे हैं। पुरुष प्रधान समाज में यह परेशानी दांपत्य जीवन को अवसादग्रस्त बना रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन भी विवाह के एक साल में संतान सुख नहीं प्राप्त होने पर तलाक की सिफारिश करता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी नपुंसकता प्रमाण पर पत्नी को तलाक का हक दे दिया है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features