नेशनल न्यूटि्रशन मॉनिटरिंग ब्यूरो ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे शारीरिक तौर पर तो सेहतमंद दिखते हैं, लेकिन उनमें विटामिन ए, विटामिन बी2, बी6, फोलेट व विटामिन-सी की कमी पाई गई है। जबकि आयोडीन व जिंक की कमी तो बच्चों में आम है। इसके अलावा दो-तिहाई बच्चों में आयरन की कमी के क्लिनिकल सबूत मिले हैं।
कई अध्ययनों से यह सामने भी आया है कि समय पर पोषक तत्व न मिलने से शिशुओं व छोटे बच्चों के दिमाग के विकास पर प्रभाव पड़ता है। WHO ने भी आयरन, जिंक जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के महत्व पर जोर देते हुए कॉम्प्लिमेंटरी आहार के माध्यम से फोर्टीफाइड आहार (आयरन, जिंक, फोलिक एसिड, विटामिन्स शामिल हैं) को रूटीन में इस्तेमाल करने के दिशा-निर्देश दिए हैं। अगर बच्चे को रोजाना दिन में दो सर्विंग फोर्टीफाइड आहार दिया जाए, तो माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की जरूरत को पूरा किया जा सकता है।