उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र, राजस्थान और गुजरात सरकार से पूछा कि धरती पर उड़ने वाले सबसे बड़े और विलुप्तप्राय पक्षी सोन चिरैया को बचाने के लिए हाई टेंशन बिजली के तारों को भूमिगत क्यों नहीं किया जा सकता? प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्व आइएएस अधिकारी रणजीत सिंह तथा अन्य की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिका में सोन चिरैया और लेसर फ्लोरिकन पक्षियों की संख्या बढ़ाने के लिए आपातकालीन कदम उठाने की खातिर न्यायालय से हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया था। पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने पीठ को बताया कि हाई वोल्टेज वाले बिजली के तारों को भूमिगत करने में तकनीकी समस्या है। मंत्रालय ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों में भी यह नहीं हो सका है। पीठ ने कहा, आप बताइये कि हाई वोल्टेज लाइन भूमिगत क्यों नहीं हो सकती?
सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी रणजीत सिंह और अन्य ने पक्षियों की इन दोनों प्रजातियों के संरक्षण और वृद्धि को लेकर तत्काल आपात योजना के लिए अदालत से निर्देश देने का आग्रह किया है। उन्होंने अपनी याचिका में उल्लेख किया है कि पिछले 50 वर्षो में सोन चिरैया की संख्या 82 प्रतिशत तक घट गई है। वर्ष 1969 में इनकी संख्या जहां 1260 थी, वहीं 2018 में ये 100-150 रह गईं।
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