अच्छी सेहत चाहते हैं तो आहार पर सबसे ज्यादा ध्यान देना जरूरी हो जाता है, स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को खान-पान में पर्याप्त पोषक तत्वों वाली चीजों को शामिल करने की सलाह देते हैं। अध्ययनों से ये भी पता चलता है कि अगर हम अपने आहार में ही सुधार कर लेते हैं तो इससे कई प्रकार की क्रॉनिक बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। क्या आपको आहार से शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व मिल रहे हैं?
इस संबंध में आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं। भारत में विटामिन-डी की कमी तेजी से बढ़ती जा रही है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में ये समस्या देखा जी रही है। हड्डियों की सेहत के लिए जरूरी इस विटामिन की कमी के चलते कम उम्र में ही लोगों को हड्डियों में दर्द, आर्थराइटिस जैसी समस्याओं का शिकार होना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, भारत जैसे देश जहां हर सीजन में पर्याप्त धूप रहती है वहीं देश में भी करीब 70–80% आबादी में विटामिन डी की कमी होना काफी चिंताजनक है। अगर समय रहते इसमें सुधार न किया गया तो आने वाले दशकों में देश के बड़ी आबादी में आर्थराइटिस, इम्युनिटी की कमजोरी सहित कई तरह की बीमारियों का खतरा हो सकता है।
भारतीय आबादी में बढ़ती विटामिन-डी की कमी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार आमतौर पर 30-50 नैनोग्राम/मिलीलीटर विटामिन-डी का स्तर सामान्य माना जाता है। हालांकि भारत में यह स्तर औसतन नैनोग्राम/मिलीलीटर तक देखा जा रहा है है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शहरी जीवनशैली, घरों और ऑफिस में ज्यादा समय बिताना, सनस्क्रीन का अत्यधिक प्रयोग और पोषण की कमी इसका प्रमुख कारण हैं।
ज्यादातर लोगों का पूरे दिन ऑफिस में रहने के कारण सूर्य की रोशनी से संपर्क नहीं हो पाता है जो इस विटामिन का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, रोजाना हल्की धूप लेना, प्रोटीन युक्त आहार के साथ विटामिन-डी वाली चीजों को आहार में शामिल करना सेहत को ठीक रखने के लिए जरूरी है।
विटामिन-डी की कमी से हड्डियों की समस्या
विटामिन डी, शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस के संतुलन को बनाए रखने के लिए जरूरी है, जिससे हड्डियां मजबूत रहती हैं। इसके अलावा ये इम्यून सिस्टम ठीक रखने और दिमाग-मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। ऐसे में इस पोषक तत्व की कमी का संपूर्ण स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर हो सकता है। विटामिन-डी का मुख्य काम है कैल्शियम को शरीर में अवशोषित करने में मदद करना। इसकी कमी से शरीर में कैल्शियम का सही से उपयोग नहीं हो पाता जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूटऑफ न्यूट्रिशन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 50% से ज्यादा महिलाएं और बुजुर्गों में ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों के कमजोर की समस्या देखी जाती है, जिसका मुख्य कारण विटामिन-डी की कमी हो सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य की भी बढ़ सकती है दिक्कतें
विटामिन-डी सिर्फ हड्डियों के लिए ही नहीं, दिमाग के लिए भी जरूरी है। यह मूड को अच्छा रखने वाले हार्मोन सेरोटोनिन को बढ़ाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों में विटामिन-डी की कमी होती है उनमें डिप्रेशन का खतरा 65% तक अधिक हो सकता है। इसके अलावा विटामिन-डी की कमी से मूड स्विंग्स, बेचैनी, नींद की कमी और ध्यान की कमी जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।
इम्यून सिस्टम पर भी पड़ता है असर
कोरोना के दिनों में जब लोगों को इम्युनिटी बढ़ाने वाले उपाय करने की सलाह दी जा रही थी तो आहार में विटामिन-सी और डी दोनों को शामिल करने पर जोर दिया जा रहा था। विटामिन-डी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसकी कमी से शरीर वायरस और बैक्टीरिया के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। आईसीएमआर ने एक रिपोर्ट में बताया कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है उनमें बार-बार सर्दी, फ्लू, या श्वसन संक्रमण का खतरा हो सकता है।