यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक चलती-फिरती सड़क पर कोई हादसा हो जाए, हादसे का शिकार इंसान मदद के लिए चिल्लाता रहे और लोग उसकी ओर नजर डालकर आगे बढ़ जाएं या तमाशबीन बनकर फोटो और वीडियो उतारने लगें। सब कुछ करें, सिर्फ उसकी मदद के लिए आगे न आएं। आखिर किस समाज में जी रहे हैं हम? शायद सेल्फी व फोटो की दीवानगी और मदद करने के जज्बे की कमी ने यह सब आम कर दिया है। इस बार हादसा कर्नाटक के हुबली में हुआ, जहां बस की टक्कर से बुरी तरह जख्मी 18 वर्षीय साइकिलसवार काफी देर तक सहायता के लिए चिल्लाता रहा, लेकिन कोई उसकी मदद को न आया।
दुर्घटना के शिकार की मदद न करना और उसकी तस्वीरें खींचते रहना, खुद हमारी और हमारी व्यवस्था, दोनों की संवेदनहीनता का नतीजा है। ऐसे मामलों में लोगों को पुलिस की प्रताड़ना से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी व्यवस्था दे रखी है। अभी हाल ही की एक घटना में दो बच्चियों ने टीन पर चॉक से लिखकर अपने सौतेले पिता का पाप उकेरा। उन्होंने लिखा कि ‘मम्मी प्यारी मम्मी, हमारी इज्जत की सहायता करना, तुम हमको इस नरक में छोड़कर क्यों चली गई। तुझे मालूम है हमारे साथ क्या-क्या हो रहा है। हमको लड़ने की शक्ति देना, ताकि हम पापा को मिटा सकें। मम्मी, हम तुम्हारे बिना अधूरे हैं। हमारे पास आ जाओ, हम तुमको बहुत याद करती हैं।’
एक राहगीर ने उसे पढ़कर पुलिस को खबर कर दी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करके आरोपी पिता को जेल भेज दिया। दोनों बच्चियों को एक स्वयंसेवी संस्था को सौंप दिया गया है। बच्चियों की इस मार्मिक पुकार को सुनकर किसी का भी हृदय तथा आंखें भर आएंगी। इन बच्चियों की हर तरह से मदद की जानी चाहिए। समाज में उन्हें भरपूर प्यार तथा सुरक्षा मिले। हमारी ऐसी सदैव प्रार्थना है।
सात साल की एक रूसी बच्ची का दिल जन्म से ही उसके सीने के बाहर है। सीने की त्वचा के ठीक पीछे यह साफ तौर पर नजर आता है। अमेरिका में उसका ऑपरेशन होने वाला है जो उसके लिए जीवन मौत का सवाल है। वर्सेविया बोरन गोंचारोवा नाम की यह बच्ची पेट की एक बीमारी से पीड़ित है। इस दुर्लभ बीमार के दुनिया में एक लाख में से केवल पांच लोग ही होते हैं।
बच्ची ने कहा, “ये देखिये ये मेरा दिल है। इसे इस तरह देखने वाली मैं अकेली ऐसी इंसान हूं। मैं चलती हूं, छलांग लगाती हूं, हालांकि मुझे दौड़ना नहीं चाहिए लेकिन मैं दौड़ती हूं।” यूपी पुलिस का दावा है कि राज्य में लड़कियों के मोबाइल नंबरों की खुलेआम बिक्री हो रही है। मोबाइल फोन रिचार्ज करने वाली दुकानों पर लड़कियों के मोबाइल नंबर बिक रहे हैं। महिला हेल्पलाइन पर 15 नवंबर 2012 से 31 दिसंबर 2016 के बीच कुल 6,61,129 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। इनमें से 5,82,854 शिकायतें टेलीफोन पर परेशान करने को लेकर थी। इस मामले से पुलिस को सख्ती से निपटना चाहिए।
इस सैनिक के दुख की झलक बीबीसी के हालिया टीवी फीचर को चीनी सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया। इसके बाद चीन सरकार ने भारत के साथ मिलकर उनकी वापसी के लिए प्रयास शुरू किए। डॉ. एल्फ्रेड एडलर मानते हैं, ‘असुरक्षित व्यक्ति सबसे पहले हमारे भरोसे को हिलाता है।’ डॉ. एडलर महान साइकोथिरेपिस्ट थे, उनका नाम फ्रायड और जुंग के साथ लिया जाता है।
‘इनफीरियोरिटी कॉम्प्लेक्स’ उन्हीं का दिया शब्द है। उनकी मशहूर किताब है ‘अडरस्टैंडिंग ह्यूमन नेचर’। हमारी जिंदगी में किसी का असर इतना नहीं होना चाहिए कि कोई आए और हमें परेशान कर चला जाए। हमें उसके असर को एक किनारे कर अपने में लौटना चाहिए। अपनी खूबी और खामी को तभी हम ठीक से समझ पाएंगे। हम पर किसी का कुछ भी असर हो, लेकिन खुद में हमारा भरोसा नहीं टूटना चाहिए।