पति के सरकारी नौकरी में रहने के दौरान पंजाब की मंत्री रजिया सुल्ताना व अरुणा चौधरी के चुनाव लड़ने को गलत करार देते हुए उन्हें हटाने के लिए दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने सुनवाई 12 सितंबर को रखी है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पति के नौकरी में रहते पत्नी का चुनाव लड़ना जुर्म है तो इसकी शिकायत पुलिस थाने जाकर करो, अदालत में क्यों आए हो?
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मामले में याचिकाकर्ता जगमोहन भट्टी का आरोप है कि दोनों के पति सरकारी कर्मचारी हैं। नियमों के तहत किसी भी कर्मचारी की पत्नी या पति सरकारी कर्मचारी हो तो वह किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ सकता। इसी आधार पर इन दोनों का चुनाव अवैध है।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एमएस गिल केस का रेफरेंस देते हुए कहा कि याचिका में की गई मांग उचित नही हैं। बेंच ने कहा कि किसी भी मंत्री को हटाने के लिए जनहित याचिका नहीं वरन चुनाव याचिका दायर करनी चाहिए।
रजिया सुल्तान व अरूणा चौधरी को हटाने की याचिका में है अपील
इस पर याची ने कहा कि दोनो मंत्री को पद से बर्खास्त कर उनके एमएलए के चुनाव को रद्द करनी चाहिए, क्यों की दोनों के खिलाफ आपराधिक मामला बनता है। इस पर बेंच ने कहा कि इस बाबत थाने में शिकायत क्यों नही करते? हाईकोर्ट क्या कर सकता है।
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बेंच ने पूछा कि आप नौकरी कर रहे किसी कर्मचारी के पारिवारिक सदस्यों को कैसे राजनीति में आने से रोक सकते हैं। इससे पहले बेंच को यह भी बताया गया कि केजरीवाल की पत्नी आईआरएस अधिकारी हैं, सुषमा स्वराज जब मंत्री थी उसके पति गवर्नर रहे हैं और भी कई उदाहरण है जब पति या पत्नी सरकारी पद पर रहे और उनमें से एक मंत्री भी रहा।
कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट के जजों के पति- पत्नी भी मंत्री रह चुके हैं। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपने समर्थन मे कुछ और जजमेंट पेश करने की सलाह देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
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