अगर चीन ने भारत से युद्ध लड़ने की हिमाकत की, तो उसको बुरी तरह मुंह की खानी पड़ेगी. देश के सैन्य सुरक्षा की कमान थामने वाले जाने-माने जनरलों ने चीन की समूची ताकत का हिसाब लगाया है और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अगर चीन ने युद्ध की हिमाकत की, उसे बुरी तरह हारना होगा. बेशक युद्ध को हमेशा टाला जाना चाहिए. अगर कोई युद्ध को मजाक समझने लगे, तो उसका अहंकार एक दिन उसे ही मजाक में बदल देता है.
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भारतीय सीमा और सेना पर नजर रखने वाली मशहूर पत्रिका इंडियन मिलिट्री रिव्यू ने लिखा कि 1962 की जिस जीत को चीन सीने से लगाकर भारत की सहनशीलता की परीक्षा ले रहा है, उसका सिलेबस कबका बदल चुका है और चीन अपनी सनक में न तो इसे समझ पा रहा है और न ही इस पर सोच पा रहा है. इंडियन मिलिट्री रिव्यू ने लिखा कि चीन की तैयारी न केवल कमजोर है, बल्कि उसके पास युद्ध के माहिर जनरल भी नहीं हैं.
चीन ने भारत के खिलाफ साल 2016 से ही तैयारी शुरू कर दी थी. सात सैनिक क्षेत्रों को जोड़कर उसने पांच क्षेत्रों में बदला था और इसका कमांडर जनरल झू जांगकी को बनाया था. जांगकी की तैनाती 20 साल तक तिब्बत में कमांडर के तौर पर रही है. अकेले जांगकी को ही पता है कि भूटान, सिक्किम और अरुणाचल से लगे इलाकों में युद्ध लड़ना कितना मुश्किल है? बाकी की पूरी चीनी सेना बुरी तरह भ्रम की शिकार है.
इंडियन मिलिट्री रिव्यू के मुताबिक चीन और भारत की लड़ाई साल 2018 में होकर रहेगी. दोनों ही देशों ने इसके लिए कमर कस ली है और अब केवल इसका एलान बाकी है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अगर युद्ध होता है, तो भारत की स्थिति क्या होगी? चीन का मुकाबला हम कैसे करेंगे? उसके मारक युद्ध विमानों, मिसाइजों और बेड़ों के सामने हमारी अपनी ताकत कहां ठहरेगी?
जैसा कि इंडियन मिलिट्री रिव्यू कहता है कि चीन डोकलाम पर एक-एक कदम आगे तो बढ़ा रहा है, लेकिन भीतर ही भीतर वो दो कदम पीछे हटता जा रहा है. क्योंकि एक बार युद्ध का एलान होने के बाद भारत कितने मोर्चे खोल देगा, इसका ठीक-ठीक अंदाजा उसे भी नहीं है.
इंडियन मिलिट्री रिव्यू ने एक कल्पना की कि अगर 2018 भारत में युद्ध होता है, तो उसका स्वरूप क्या होगा? कहां-कहां हमारी सेनाएं टकराएंगी और हमारी रणनीति क्या होगी? जनरल जीडी बख्शी के मुताबिक चीन लद्दाख की तरफ से भारत पर पहली चढ़ाई करेगा. इसे कवर देने के लिए पाकिस्तान कश्मीर में बड़े पैमाने पर युद्ध विराम का उल्लंघन करेगा, जिससे भारत का ध्यान बंटे.
इसके लिए चीन तिब्बत और सरहदी इलाकों में भारी तादाद में गोला बारूद अभी से जमा करना शुरू कर चुका है. चीन दूसरा मोर्चा चुंबी घाटी में खोलेगा. इस इलाके में वो अपने भारी मशीनगनों का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ेगा. इसके बाद चीनी सेना की एक विशाल टुकड़ी ब्रह्मपुत्र नदी पार करने की कोशिश करेगी और तभी भारतीय वायु सेना अपना ऑपरेशन शुरू कर देगी.
ब्रह्मपुत्र नदी से गुजर रही टुकड़ी पर भारत जोरदार हमला करेगा. चीन इसका मुकाबला नहीं कर पाएगा और फिर युद्ध का रुख बदल जाएगा. चीन को जहां से प्रतिरोध की कोई उम्मीद नहीं होगी, वहां उसे कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ेगा. नतीजा ये होगा कि तिब्बत की ओर से कूच करने वाली टुकड़ी को ल्हासा में मुंह छिपाना पड़ेगा.
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