1980 के दशक से ही अयोध्या में राम मंदिर का विरोध करने वाले आज ऐसा कहने की हिम्मत नहीं जुटा सकते हैं। अब कोई भी यह नहीं कहेगा कि अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनना चाहिए। यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल का।गुजरात चुनाव को लेकर राज ठाकरे ने दिया बड़ा बयान, कहा- BJP 150 सीटें जीती तो ये होगा ‘EVM का जादू’
उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिर दर्शन पर तंज कसते हुए कहा कि वोटों के लालच में मंदिर जाना भी एक प्रकार का तुष्टीकरण है।
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में शनिवार को संघ के मुखपत्र पांचजन्य और ऑर्गेनाइजर के लखनऊ ब्यूरो के शुभारंभ पर संघ के सह सर कार्यवाह कृष्णगोपाल ने कहा कि हजारों वर्षों से राम श्रद्धा, सम्मान और विश्वास के प्रतीक हैं। राम लोगों के हृदय में हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता।
अयोध्या में उस जगह मंदिर होना ही चाहिए। यह किसी के विरोध के चलते नहीं है। पहले जो लोग कहते थे वहां पार्क, शौचालय या पुस्तकालय बनवा दो आज उनकी भी हिम्मत नहीं है कि वह यह कहें कि वहां मंदिर नहीं बनेगा।
उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि अब वे भी मंदिर में मत्था टेकने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनका उद्देश्य राजनीतिक है, यह भी तुष्टीकरण है। वे मन से मंदिर नहीं जा रहे हैं, उनके मन में श्रद्धा, भक्ति और सम्मान नहीं है। वह चतुराई से वोट हासिल करने के लिए मंदिर जाने का दिखावा कर रहे हैं। जो कतई ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि पांचजन्य ने पहले ही कहा था कि समान नागरिक संहिता होनी चाहिए। आज सुप्रीम कोर्ट भी कह रहा है कि सरकार इसके लिए प्रयत्न करे। ट्रिपल तलाक पर सरकार कानून बनाए। इस अवसर पर पांचजन्य के समूह संपादक जगदीश उपासने, पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर, ब्यूरो चीफ सुनील राय, गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा भी मौजूद थे।
सांस्कृतिक विचार के पुरोधा कांग्रेस से दूर किए गए
कृष्णगोपाल ने कहा कि यह कांग्रेस का दुर्भाग्य ही है कि लोकमान्य तिलक, केएम मुंशी, डॉ. संपूर्णानंद, पुरुषोत्तम दास टंडन, वल्लभ भाई पटेल जैसे सांस्कृतिक विचार के पुरोधा को उसने अपनी विचारधारा से निकाल दिया। यह लोग राजनीति में रहते हुए भी राष्ट्रीय दर्शन को पहचानते थे।
उन्होंने कहा कि एक ओर वे लोग हैं जो स्वयं को प्रगतिशील कहते हैं और भारत को जमीन का एक टुकड़ा मानते हैं। तो दूसरी तरफ आरएएसएस और पांचजन्य जिसने बता दिया है कि भारत एक राष्ट्र पुरुष है।
भारत की एकता और अखंडता जिन्हें अच्छी नहीं लगती उन्हें लगता था कि भारत पर हमला होगा तो देश की राष्ट्रीयता बिखर जाएगी। लेकिन जब भी संकट आया भारत ने बता दिया कि वह श्रेष्ठ भारत है। आज का द्वंद्व सत्ता के लिए नहीं बल्कि वैचारिक लड़ाई है। जो समुदाय इसमें कमजोर पड़ेगा, वह धराशायी हो जाएगा।