अब संस्कृत पढ़ने वाले भी छात्र कर सकेंगे बीएससी और बीकॉम

संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों से पढ़ने वाले विद्यार्थी भी अब बीएससी और बीकॉम कर सकेंगे। अब तक वह सिर्फ बारहवीं के बाद बीए कर पाते थे। उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद अपने पाठ्यक्रम को माध्यमिक शिक्षा परिषद के पाठ्यक्रम की तरह बनाने जा रहा है।
बारहवीं में छात्र संस्कृत के अनिवार्य विषयों के साथ विज्ञान, कामर्स या कंप्यूटर की भी पढ़ाई करेंगे। अगले सत्र से नया पाठ्यक्रम संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में लागू करने की तैयारी है। 

संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में छात्र प्रथमा यानी कक्षा छह, द्वितीय वर्ष अर्थात कक्षा सात और तृतीय वर्ष, कक्षा आठ में संस्कृत के अनिवार्य विषयों के साथ वैकल्पिक विषयों के रूप में अंग्रेजी, हिंदी, विज्ञान और गणित पढ़ते हैं।

नौवीं और दसवीं अर्थात पूर्व मध्यमा में भी विद्यार्थी इन विषयों को वैकल्पिक विषयों के रूप में पढ़ते हैं। इसी तरह उत्तर मध्यमा यानी ग्यारहवीं और बारहवीं में भी इन्हीं विषयों को पढ़ाया जाता है। विज्ञान, गणित, कंप्यूटर साइंस का बहुत कम ज्ञान इन विद्यार्थियों को मिलता है।

यही वजह है कि बारहवीं के बाद बीएससी और बीकॉम में प्रवेश नहीं मिल पाता। संस्कृत से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने पाठ्यक्रम में संशोधन का निर्णय लिया है। बारहवीं में कला ग्रुप में संस्कृत अनिवार्य रूप के साथ अगर छात्र कामर्स लेता है तो कामर्स के विषय और विज्ञान लेता है तो विज्ञान के विषयों को पढ़ेंगे। नया पाठ्यक्रम यूपी बोर्ड की तरह होगा।

 
 
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