टेरीजा मे ने अंतिम दिन बड़ी आबादी वाले इंग्लिश मिडलैंड में जोरदार चुनाव प्रचार किया जबकि कोर्बिन ने इंग्लैंड, स्कॉटलैंट और वेल्स में छह रैलियां कीं। दोनों नेताओं के चुनाव प्रचार में आतंकवाद एक बड़ा मुद्दा रहा।
गृह सुरक्षा और पुलिस बल की संख्या में कमी हाल ही में मैनचेस्टर और लंदन के आतंकी हमलों के बाद चुनाव अभियान का प्रमुख मुद्दा रहीं। दोनों प्रत्याशियों ने कहा कि लंदन में आतंकवाद से निपटने के लिए जरूरत पड़ी तो मानवाधिकार कानूनों को बदला भी जाएगा।
जबकि कोर्बिन ने मतदाताओं को याद दिलाया कि टेरीजा जब गृहमंत्री थीं तब उन्होंने पुलिस बल की संख्या में कटौती की थी। इस मुद्दे पर टेरीजा अपनी तरह से बचाव भी करती दिखाई दीं लेकिन कोर्बिन के हमले काफी तीखे रहे।
टेरीजा ने मतदाताओं से उनके हाथ मजबूत करने का आव्हान किया। जबकि जेरेमी कोर्बिन ने कहा कि सार्वजनिक सेवाएं और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा उनके हाथों में सुरक्षित रहेगी। गत 18 अप्रैल को पीएम टेरीजा मे ने जब अचानक मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था तब उनकी लोकप्रियता चरम पर थी और उन्होंने लेबर पार्टी के मुकाबले दोहरे अंकों की बढ़त हासिल कर ली थी लेकिन अब आतंकी हमलों के बाद उनका यह ग्राफ गिरता दिखाई दिया है।
एक माह पहले प्रचार अभियान की शुरूआत के दौरान हुए जनमत सर्वेक्षण में टेरीजा मे अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 20 अंकों की बढ़त बनाए हुए थीं जबकि नए आंकड़ों में दोनों के बीच कड़ी टक्कर होती दिखाई दे रही है। बृहस्पतिवार को देश के पांच करोड़ मतदाता प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे।
ऐसे में टेरीजा मे को उम्मीद है कि यूके इंडिपेंडेंट पार्टी के समर्थकों का बड़ा हिस्सा उन्हें समर्थन दे देगा। इसके अलावा उन्हें लेबर पार्टी से भी कुछ सीटें छीनने की उम्मीद है। लेकिन चुनाव परिणामों से पहले राजनीतिक विश्लेषक इस गठबंधन के बारे में कोई टिप्पणी करने से बचते देखे गए।