उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। खबर है कि केशव प्रसाद मौर्य सीएम योगी की कैबिनेट से इस्तीफा देकर पीएम मोदी की कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि भाजपा ऐसा बसपा प्रमुख मायावती के फुलपुर प्लान को रोकने के लिए कर सकती है। क्योंकि अगर मौर्य सीट छोड़ते हैं तो वहां उपचुनाव होगा जिसका मायावती फायदा उठा सकती हैं।
वहीं दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि सरकार बने सिर्फ चार महीने हुए हैं लेकिन प्रदेश सरकार में शीर्ष स्तर पर टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। वहीं विपक्षी एकता और गठजोड़ की कवायद के बीच भाजपा मौर्य के संसदीय क्षेत्र फूलपुर में फिलहाल चुनाव से भी बचना चाहेगी। ऐसे में अगले महीने ही मौर्य को दिल्ली लाया जा सकता है। वैसे भी अगले महीने मोदी कैबिनेट के विस्तार की संभावना है।
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बसपा सुप्रीमो मायावती राज्यसभा से इस्तीफा दे चुकी हैं। उनकी ओर से कोई ऐलान तो नहीं हुआ है लेकिन यह अटकलें तेज है कि मौर्य के इस्तीफा देने की स्थिति में वह फूलपुर से लोकसभा उपचुनाव लड़ सकती हैं। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव का जो आंकड़ा रहा है उसके अनुसार सपा, बसपा और कांग्रेस का संयुक्त वोट भाजपा के लिए खतरनाक होगा।
उससे भी ज्यादा खतरे की बात यह होगी कि चुनाव से डेढ़ दो साल पहले ही विपक्षी एकता की जड़ें पनपने लगेंगी। इसको टालने का सिर्फ एक ही तरीका है कि मौर्य सांसद बने रहें लेकिन उस स्थिति में उन्हें दो महीने के अंदर प्रदेश सरकार से हटना होगा।
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सूत्रों की मानी जाए तो एक दूसरा कारण प्रदेश सरकार के भीतर का बनता-बिगड़ता समीकरण भी है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच सब कुछ सहज नहीं है। यहां तक कि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में भी इसकी झलक दिखी। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने परोक्ष रूप से मौर्य के कामकाज को लेकर सवाल उठाया। ध्यान रहे कि प्रदेश सरकार गठन को अभी चार महीने भी नहीं हुए हैं। भाजपा कभी नहीं चाहेगी कि प्रदेश सरकार के अंदर की आपसी खींचतान का असर 2019 लोकसभा चुनाव पर दिखे।
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गौरतलब है कि अगस्त के तीसरे सप्ताह में मोदी कैबिनेट के विस्तार की संभावना है। कैबिनेट स्तर पर जहां कुछ मंत्रियों पर दो दो बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारी है तो वहीं आगामी कई विधानसभा चुनावों के लिहाज से भी कुछ नए चेहरे लाए जा सकते हैं।