भारत बना निशाना, पाकिस्तान में लश्कर पर लगाम तो जैश बना जिहाद का केंद्र

पाकिस्तान दुनिया के सामने खुद को आतंक विरोधी चेहरा साबित करने की कोशिशों में लगा हुआ। इसी वजह से पिछले दिनों इस्लामाबाद से हाफिज पर कार्रवाई के जरिए संकेत दिया गया कि वो आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रतिबद्ध है।भारत बना निशाना, पाकिस्तान में लश्कर पर लगाम तो जैश बना जिहाद का केंद्र
इसी संकेत को पुख्ता करने के लिए पिछले दिनों लश्कर-ए-तैय्यबा चीफ हाफिज सईद को नजरबंद किया गया। यहां उसके प्राथमिक राजनीतिक समूह जमात-उद-दावा को लेकर पूछताछ की जा रही है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान का दूसरा संगठन जैश, जिहाद के केंद्र बिंदु के तौर पर उभर रहा है।
 
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जनवरी के आखिरी शुक्रवार को जामिया मस्जिद उस्मानिया में भीड़ इकट्ठी हुई। ये भीड़ ताहिर नाम के शख्स की शोक सभा में एकत्र हुई थी जिसकी मौत भारत के किसी एक हिस्से में हुई थी। 

फंड जुटाने और जिहादियों की नई भर्ती के लिए मुहिम

पुतिन को हत्यारा कहने पर भड़के ट्रंप, कहा- ‘अमेरिका में भी बहुत सारे हत्यारे’

 शोक सभा में कहा गया कि “इस्लाम एक ऐसा शब्द है जिसे कभी खत्म नहीं किया जा सकता”। जो कोई भी इसे खत्म करने की कोशिश करेगा वो खुद खत्म हो जाएगा। वह चला गया। जिहाद हमारी आस्था का महत्वपूर्ण दायित्व है।
इस तरह के कार्यक्रम पाकिस्तान में नये नहीं है। इस तरह के कार्यक्रमों के जरिए लगातार जिहादी कार्यक्रमों को मजबूत करने की कोशिशें हो रही हैं। कई आतंकी संगठनों द्वारा उसकी पहचान की गई। इस शख्स ने जिहाद के नाम पर पिछले तीन महीने में पाकिस्तान के कई हिस्से में कई रैलियां कीं।

इन रैलियों में खुले तौर पर फंड जुटाने और नए लोगों को भर्ती की बात की गई। जैश पाकिस्तान में प्रतिबंधित है, और इसका प्रमुख मसूद अजहर अल्वी, जो अशगर का बड़ा भाई है इसे इस्लामाबाद के घर में हिरासत में लिया गया। नवाज शरीफ ने स्वीकार किया कि वो पठानकोट एयरबेस हमले का दोषी है।

लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि ये संगठन लगातार अपने पांव पसार रहा है। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक बहावलपुर की तहसील यजमन में जैश की विचारधारा से प्रेरित अब्दुल रशीद ने शुक्रवार को 400 लोगों को शामिल किया।

उसने मुस्लिम राष्ट्र के कष्टों की दर्दनाक कहानी बयां की, जिसके बाद उसने लोगों से जिहाद में शामिल होने की बात कही। इस भाषण का लोगों पर बड़ा प्रभाव पड़ा। उनमें से कई ने जिहाद को सक्रिय सहयोग देने की बात की।

अल-कलाम पर पाकिस्तान में प्रतिबंध है। इसके बावजूद पूरे पाकिस्तान में उन ग्राफिक्स को बेंचा गया जिसमें बताया गया कि किस तरह से जैश संगठन में तेजी से भर्ती हो रही है। 3 से 9 फरवरी के बीच 16 लोग बहावलपुर के मदरसे में इकट्ठे हुए। मरकज उस्मान वा अली ने वहां कुरान की जिहाद से संबंधित 600 वर्सेज सुनाई। कार्यक्रम की शुरुआत में मसूद अजहर को अमीर-उल-मुजाहिद्दीन (पवित्र योद्दाओं का नेता) बताया गया।

 
टोबा टेक सिंह में गुमतला जैसे हिस्से हैं- जो कि विभाजन युग की कहानी बयां करते हैं। इसका भी जिहादियों को जुटाने का बड़ा इतिहास है। अल-कलाम के भी देशभर में जिहादी महत्वाकांक्षी कार्यक्रम चला रहा है।

जैश की योजना बड़े स्तर पर इस तरह के जिहादियों को लामबंद करने की है। इसलिए पूरे पाकिस्तान में 2009 से कश्मीर डे के नाम पर रैलियां आयोजित हो रही हैं। तहरीक-ए-आजादी कश्मीर कै बैनर तले तथाकथित कश्मीर की आजादी के लिए मुहिम चलाई जा रही है।

विशेषज्ञ कहते हैं कि जैश लगातार अपने कार्यक्रमों के जरिए लगातार लोकप्रियता हासिल कर रहा है। यही वजह है कि यह भारत और कश्मीर केंद्रित मुद्दों के लिए लोकप्रिय रहा है।

 
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com