उत्तर प्रदेश के महोबा के इस मामले ने जबरदस्त तूल पकड़ ली है। यहां एक पुजारी के सुसाइड नोट योगी सरकार की परेशानी का बड़ा सबब बन सकता है। जानिए क्या है पूरा मामला…
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उत्तर प्रदेश के महोबा के थाना के महोबकंठ के सौरा गांव में एक पुजारी ने पेड़ पर फंदा डालकर फांसी लगा ली। सुसाइड नोट में उसने अपनी मौत का दोषी राजू, सोनू, मोनू और दयाराम कुशवाहा को ठहराया है। चारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। साथ ही साथ योगी सरकार को भी लपेटे में ले लिया है।
पुलिस अधीक्षक अनीस अहमद अंसारी, सीओ जितेंद्र दुबे और थानाध्यक्ष महोबकंठ मौके पर पहुंचे। मामले की जांच पड़ताल के बाद पुलिस अधीक्षक ने फौरन दबंगों की हिरासत में लेने के निर्देश दिए। घटना की रिपोर्ट मृतक के भाई दीपू दीक्षित पुत्र बिहारीलाल दीक्षित ने दर्ज कराई है।
मौत से गांव में पसरा सन्नाटा
पुजारी की मौत से गांव में गमगीन माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने पुलिस को पुजारी की हुई बेइज्जती की कहानी रो रोकर सुनाई। गांव वालों ने बताया कि पुजारी मृदुल स्वभाव का था। यही वजह है कि उसका अपमान होने के बाद भी पुलिस में तहरीर देने के बजाए उसने पंचायत बुलाई। पुजारी की मौत के बाद कई घरों में चूल्हे तक नहीं जले।
दबंगों से आहत पुजारी ने मरने से पहले लिखे सुसाइड नोट में योगी सरकार को भी आड़े हाथों लिया। इसमें बताया कि बीजेपी सरकार ने कानून व्यवस्था में सुधार किया जाने का वादा किया था, लेकिन न कोई परिवर्तन आया और न कोई सुधार हुआ। सीएम योगी से हमारा कहना है सौरा गांव की कानून व्यवस्था का सुधार होना चाहिए। अगर आपके राज में कानून व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो कभी नहीं होगा। पुजारी ने घर वालों को परेशान न करने का आग्रह किया है।
-अपमान से आहत होकर पुजारी ने फांसी लगाई
-सुसाइड नोट में प्रताड़ित कर बेइज्जत करने वाले लोगों को ठहराया दोषी
-चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
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