जारी किए गए वीडियो के साथ कहा गया है कि इससे पहले इस शख्स की सिर्फ एक तस्वीर है जो 1990 के दशक में वृत्तचित्र निर्माता ने ली थी जिसमें उस व्यक्ति का चेहरा पत्तों के पीछे छिपा है. व्यक्ति की निगरानी करने वाले दल के समन्वयक आल्टेयर अल्गायेर ने कहा कि फाउंडेशन यह वीडियो जारी नहीं करना चाहता था क्योंकि वह उस शख्स से इसे जारी करने की अनुमति नहीं ले सका है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि ऐसी तस्वीरों से उन लोगों के दर्द की तरफ ध्यान आकर्षित करने में मदद मिलती है जो बाहरी दुनिया से अपनी दूरी बरकरार रखने के लिये संघर्ष कर रहे हैं. यह फुटेज 2011 में रिकॉर्ड की गई थी. अल्गायेर ने कहा कि उसकी उम्र 55 से 60 साल के करीब है और उसकी सेहत अच्छी है. इंडियन फाउंडेशन 1996 से इस व्यक्ति पर नजर रख रहा है जब वह उसे रोंडोनिया राज्य के जंगल में अकेले रहता नजर आया था. माना जाता है कि उसके साथी जनजाति के सभी सदस्य 1995 या 1996 में मर गए. फाउंडेशन के सदस्यों ने उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने बाहरी दुनिया से जुड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

अमेजन के जंगल में 22 साल से अकेले रह रहा शख्स

एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसमें अमेजन के जंगल में संभवत: 22 साल से अकेले रह रहे एक व्यक्ति के बारे में पता चला है. ब्राजील की इंडियन फाउंडेशन द्वारा जारी किए गए वीडियो में व्यक्ति की दुर्लभ तस्वीरें कैद हुई हैं. इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. इस व्यक्ति का नाम और यह किन लोगों के साथ आया कोई नहीं जानता.जारी किए गए वीडियो के साथ कहा गया है कि इससे पहले इस शख्स की सिर्फ एक तस्वीर है जो 1990 के दशक में वृत्तचित्र निर्माता ने ली थी जिसमें उस व्यक्ति का चेहरा पत्तों के पीछे छिपा है.  व्यक्ति की निगरानी करने वाले दल के समन्वयक आल्टेयर अल्गायेर ने कहा कि फाउंडेशन यह वीडियो जारी नहीं करना चाहता था क्योंकि वह उस शख्स से इसे जारी करने की अनुमति नहीं ले सका है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि ऐसी तस्वीरों से उन लोगों के दर्द की तरफ ध्यान आकर्षित करने में मदद मिलती है जो बाहरी दुनिया से अपनी दूरी बरकरार रखने के लिये संघर्ष कर रहे हैं. यह फुटेज 2011 में रिकॉर्ड की गई थी.  अल्गायेर ने कहा कि उसकी उम्र 55 से 60 साल के करीब है और उसकी सेहत अच्छी है. इंडियन फाउंडेशन 1996 से इस व्यक्ति पर नजर रख रहा है जब वह उसे रोंडोनिया राज्य के जंगल में अकेले रहता नजर आया था. माना जाता है कि उसके साथी जनजाति के सभी सदस्य 1995 या 1996 में मर गए. फाउंडेशन के सदस्यों ने उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने बाहरी दुनिया से जुड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

माना जा रहा है कि यह अपनी जनजाति का आखिरी जीवित व्यक्ति है. आखिरी बार उसके जिंदा होने के साक्ष्य मई में मिले थे. पत्तियों के बीच से दूर से ली गई इस फुटेज में यह शख्स एक पेड़ को काटता दिख रहा है. इसमें कुल्हाड़ी से पेड़ को काटने तथा पक्षियों की आवाज सुनी जा सकती है.

जारी किए गए वीडियो के साथ कहा गया है कि इससे पहले इस शख्स की सिर्फ एक तस्वीर है जो 1990 के दशक में वृत्तचित्र निर्माता ने ली थी जिसमें उस व्यक्ति का चेहरा पत्तों के पीछे छिपा है.

व्यक्ति की निगरानी करने वाले दल के समन्वयक आल्टेयर अल्गायेर ने कहा कि फाउंडेशन यह वीडियो जारी नहीं करना चाहता था क्योंकि वह उस शख्स से इसे जारी करने की अनुमति नहीं ले सका है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि ऐसी तस्वीरों से उन लोगों के दर्द की तरफ ध्यान आकर्षित करने में मदद मिलती है जो बाहरी दुनिया से अपनी दूरी बरकरार रखने के लिये संघर्ष कर रहे हैं. यह फुटेज 2011 में रिकॉर्ड की गई थी.

अल्गायेर ने कहा कि उसकी उम्र 55 से 60 साल के करीब है और उसकी सेहत अच्छी है. इंडियन फाउंडेशन 1996 से इस व्यक्ति पर नजर रख रहा है जब वह उसे रोंडोनिया राज्य के जंगल में अकेले रहता नजर आया था. माना जाता है कि उसके साथी जनजाति के सभी सदस्य 1995 या 1996 में मर गए. फाउंडेशन के सदस्यों ने उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने बाहरी दुनिया से जुड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

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