सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली पर केंद्र के वर्चस्व वाला ब्लॉग अरुण जेटली ने लिखा और इशारों में सीएम केजरीवाल को समझाना चाहा मगर ये बात राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के राष्ट्रीय महासचिव और कटिहार लोकसभा सीट से सांसद तारिक अनवर को नागवार गुजरी है. अनवर ने जेटली के ब्लॉग पर कहा है कि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली दिखाना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली पर केंद्र का वर्चस्व है. ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे न तो राज्य सरकार या केंद्र सरकार के अधिकारों में इजाफा हुआ है और न ही किसी के अधिकारों में कटौती हुई है. यह फैसला चुनी गई सरकार के महत्व को रेखांकित करता है. चूंकि दिल्ली संघ शासित प्रदेश है इसलिए इसके अधिकार केंद्र सरकार के अधीन हैं. अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली सरकार के पास पुलिस का अधिकार नहीं है. ऐसे में वह पूर्व में हुए अपराधों के लिए जांच एजेंसी का गठन नहीं कर सकती. जेटली ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि इसके अलावा यह धारणा ‘पूरी तरह त्रुटिपूर्ण है’ कि संघ शासित कैडर सेवाओं के प्रशासन से संबंधित फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में गया है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने बुधवार को दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया पर उपराज्यपाल के अधिकारों पर कहा था कि उनके पास स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार की मदद और सलाह से काम करना है. इसे आप सरकार ने अपनी जीत बताया था वही जेटली ने अपने ब्लॉग में केंद्र के वर्चस्व का इशारा करना चाहा है.

अरुण जेटली के बोल से तारिक अनवर खफा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली पर केंद्र के वर्चस्व वाला ब्लॉग अरुण जेटली ने लिखा और इशारों में सीएम केजरीवाल को समझाना चाहा मगर ये बात राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के राष्ट्रीय महासचिव और कटिहार लोकसभा सीट से सांसद तारिक अनवर को नागवार गुजरी है. अनवर ने जेटली के ब्लॉग पर कहा है कि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली दिखाना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली पर केंद्र का वर्चस्व है. ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे न तो राज्य सरकार या केंद्र सरकार के अधिकारों में इजाफा हुआ है और न ही किसी के अधिकारों में कटौती हुई है. यह फैसला चुनी गई सरकार के महत्व को रेखांकित करता है. चूंकि दिल्ली संघ शासित प्रदेश है इसलिए इसके अधिकार केंद्र सरकार के अधीन हैं.सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली पर केंद्र के वर्चस्व वाला ब्लॉग अरुण जेटली ने लिखा और इशारों में सीएम केजरीवाल को समझाना चाहा मगर ये बात राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के राष्ट्रीय महासचिव और कटिहार लोकसभा सीट से सांसद तारिक अनवर को नागवार गुजरी है. अनवर ने जेटली के ब्लॉग पर कहा है कि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली दिखाना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली पर केंद्र का वर्चस्व है. ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे न तो राज्य सरकार या केंद्र सरकार के अधिकारों में इजाफा हुआ है और न ही किसी के अधिकारों में कटौती हुई है. यह फैसला चुनी गई सरकार के महत्व को रेखांकित करता है. चूंकि दिल्ली संघ शासित प्रदेश है इसलिए इसके अधिकार केंद्र सरकार के अधीन हैं.   अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली सरकार के पास पुलिस का अधिकार नहीं है. ऐसे में वह पूर्व में हुए अपराधों के लिए जांच एजेंसी का गठन नहीं कर सकती. जेटली ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि इसके अलावा यह धारणा ‘पूरी तरह त्रुटिपूर्ण है’ कि संघ शासित कैडर सेवाओं के प्रशासन से संबंधित फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में गया है.   गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने बुधवार को दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया पर उपराज्यपाल के अधिकारों पर कहा था कि उनके पास स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार की मदद और सलाह से काम करना है. इसे आप सरकार ने अपनी जीत बताया था वही जेटली ने अपने ब्लॉग में केंद्र के वर्चस्व का इशारा करना चाहा है.

अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली सरकार के पास पुलिस का अधिकार नहीं है. ऐसे में वह पूर्व में हुए अपराधों के लिए जांच एजेंसी का गठन नहीं कर सकती. जेटली ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि इसके अलावा यह धारणा ‘पूरी तरह त्रुटिपूर्ण है’ कि संघ शासित कैडर सेवाओं के प्रशासन से संबंधित फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में गया है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने बुधवार को दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया पर उपराज्यपाल के अधिकारों पर कहा था कि उनके पास स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार की मदद और सलाह से काम करना है. इसे आप सरकार ने अपनी जीत बताया था वही जेटली ने अपने ब्लॉग में केंद्र के वर्चस्व का इशारा करना चाहा है. 

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