हिमाचल में बिकने वाली शराब असली है या नकली, इसकी पहचान एक ऐप के जरिये हो सकेगी। प्रदेश के आबकारी एवं कराधान विभाग ने ऐसी ऐप तैयार की है, जिसके जरिये बोतल के होलोग्राम को स्कैन कर असली और नकली की पहचान की जा सकेगी।
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हरियाणा, पंजाब और यूपी से तस्करी कर प्रदेश में लाई जाने वाली शराब और प्रदेश में ही बनाई जा रही नकली शराब के गोरखधंधे की समस्या से निपटने को विभाग ने यह तरीका ईजाद किया है।
प्रदेश सरकार हर साल करीब 12 सौ करोड़ रुपये सिर्फ शराब लाइसेंस से कमाती है। चूंकि, इस साल लाइसेंस नीलामी के जरिये वितरित किए गए हैं, ऐसे में शराब नीति में संशोधन कर वितरकों को शराब की कीमत खुद तय करने की छूट दी गई है।
ऐप में होगा स्कैनर
प्रदेश में बाहरी राज्यों से बड़ी मात्रा में शराब तस्करी कर लाई जाती है। इससे शराब विक्रेताओं के साथ ही सरकार को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जहरीली शराब की आशंका के चलते भी विभाग इस रैकेट पर नकेल कसने की जुगत में है। आबकारी आयुक्त पुष्पेंद्र राजपूत ने बताया कि ऐप में एक स्कैनर होगा।
इसके जरिये बोतल के होलोग्राम को स्कैन कर असली और नकली की पहचान की जा सकेगी। शराब निर्माता कंपनियों से कहा गया है कि वे होलोग्राम लगाने के बाद हर महीने एक्सल शीट में कितनी यूनिट शराब तैयार की गई, उसका डाटा दें। होलोग्राम लगाना भी जरूरी होगा। इसी होलोग्राम को स्कैन कर ग्राहक शराब के असली और नकली होने की पहचान कर सकेंगे।
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