आंध्रप्रदेश में दलित छात्र ने प्रकाश जावड़ेकर को लिखी चिट्ठी, स्कूल कर रहा है अत्याचार

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के गू्ंटी केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ने वाले कक्षा 11वीं के दलित छात्र बाबू मोहन ने एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर को चिठ्ठी लिखी है. छात्र ने चिट्टी में स्कूल में अपने और अपने परिवार के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के बारे में बताया है. छात्र ने लिखा है कि उसके पिता ने साल 2013 में एक RIT दाखिल कर स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड की भर्ती के बारे में जानने की कोशिश की थी. छात्र के मुताबिक उसके बाद से ही स्कूल किसी न किसी बहाने से उसके और उसके परिवार वालों को परेशान करने के बहाने तलाशता रहता है. छात्र के पिता नागराज इसी स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं.

चिठ्टी में छात्र ने बताया कि हमें हमारे पीटी टीचर ने पैरों पर खूब मारा जब मेरे पिता ने इसकी शिकायत स्कूल प्रशासन से की तो उन्होंने हमें ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेकर स्कूल छोड़ देने की सलाह दे डाली. क्योंकि मेरे पिता ने स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड की भर्ती की जानकारी के लिए RTI फाइल की थी. इस मामले में स्कूल की प्रिंसिपल भारती देवी ने कहा कि ये सारे आरोप गलत है मैंने 2015 में स्कूल को ज्वाइन किया है लेकिन स्कूल स्टाफ का कहना है कि नागराज 2010 से अपने बच्चों के प्रति दुर्व्यवहार को लेकर स्कूल स्टाफ की शिकायत कर रहा है. ये सब झूठ है और हम केन्द्रीय विद्यालय संगठन के मुताबिक ही चलते हैं.

14 साल का ये छात्र पिछले पांच दिनों से राजधानी में ही है. छात्र के साथ उसका भाई, पिता और मां भी है. दोनों छात्र स्कूल यूनिफॉर्म में आए हैं. क्योंकि छात्र फेल हो गया है इसीलिए अपने शैक्षणिक योग्यता के सबूत के तौर पर पुराने रिपोर्टकार्ड्स भी साथ लाया है.पूरे परिवार ने कई रातें नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन पर बिताई. इनके पास एक बैग है जिसमें वो सारी चिट्ठियां हैं जो परिवार ने स्कूल प्रशासन को लिखी थीं. मंगलवार को छात्र के पिता ने प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की और उन्हें  केन्द्रीय विद्यालय संगठन को शिकायत दर्ज करवाने को कहा गया है.

चिट्ठी में लिखा है…

विषय में छात्र बाबू मोहन ने लिखा है ” प्रधान उपाध्याय की जाति-जुलमी विध्यादियो के उपर”. चिट्ठी में छात्र ने लिखा है कि उपरी जाति का स्कूल स्टाफ हमें पढ़ाई नहीं करने देता. छात्र ने लिखा है ” स्कूल के कुछ लोग हमें स्कूल में होने वाली एक्टीविटीज़ जैसे स्पोर्ट्स, डांस और पेंटिंग इत्यादि में हिस्सा नहीं लेने देते. हम संस्कृति डिपार्टमेंट की गतिविधियों में भी हिस्सा नहीं ले पाते.”

छात्र ने आगे लिखा है ” हमें एफ1 एग्ज़ाम नहीं देने दिया गया और मैं कक्षा 11वीं में फेल हो गया. कक्षा में भी मुझे दूसरे छात्रों से अलग बैठाया जाता है. स्कूल प्रशासन अलग-अलग तरीकों से हमें परेशान करता है और दूसरे छात्र भी हमसे बात नहीं करतें. छात्र ने ये भी बताया कि स्कूल में डर का महौल है.”

RTI फाइल करने का खामियाज़ा

एडवोकेट के.सुदरसन ने बताया कि मेरे क्लाइंट नागराज ने स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड्स की भर्ती को लेकर होने वाली अनियमितताओं की जानकारी के लिए आरटीआई दाखिल की और रेवैन्यू अथॉरिटी को इस मामले में दखल देने का निवेदन किया. इसके बाद स्कूल प्रशासन ने कर्मचारी के दोनों बच्चों को स्कूल न आने की हिदायत दे डाली. इस तरह के मामले में बच्चों को स्कूल आने से रोकना न सिर्फ अवैध है बल्कि अन्याय भी है.

जब स्कूल प्रशासन ने छात्र की मां लक्ष्मी देवी जो कि स्कूल में माली का काम करती हैं और पिता नागराज को स्कूल से टर्मिनेट कर दिया तो ये मामला नेशनल कमीशन फॉर स्कूल्स तक पहुंचा. कमीशन को जवाब देते हुए स्कूल की प्रिंसिपल भारती देवी ने कहा कि लक्ष्मी हमारे स्कूल में माली के तौर पर काम नहीं कर सकती क्योंकि हमारे पास फंड नहीं है, और नागराज के काम से स्कूल प्रशासन खुश नहीं है.

दूसरी तरफ नागराज का कहना है कि स्कूल सिर्फ RTI की वजह से उन्हें परेशान कर रहा है. स्कूल के प्रिंसिपल बदलते जा रहे हैं लेकिन उनका रवैया नहीं बदलता. छात्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्कूल में जो भी टीचर आता है सबसे पहले यही पूछता है कि बाबू मोहन कौन है, उसके बाद उन्हें पता होता है कि आगे क्या करना है.

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