इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को दिए ये सख्त निर्देश, निर्देशों का पालन न करने पर होगी कार्यवाही

कोरोना के बढ़ते मामलो के कारण देश में संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. वही इस बीच यूपी में COVID-19 संक्रमण तेज रफ़्तार से फैल रहा है. इसी क्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को “दो गज दूरी, मास्क है आवश्यक” के नियम का कठोरता से पालन कराने का निर्देश दिए है. न्यायालय ने कहा है कि एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के 6 अगस्त 2020 को जारी शासनादेश का अनुपालन निर्धारित करने के लिए हर शहर में एक अफसर तैनात किया जाये. क्वारंटाइन केन्द्रों के हालात एवं हॉस्पिटलों में उपचार के बेहतर इंतजाम को लेकर लागु जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने यह निर्देश दिए है.

न्यायालय ने सीएमओ प्रयागराज द्वारा मांगी गयी सुचना न देने पर नाराजगी जाहिर की है, तथा सीएमओ की तरफ से दाखिल हलफनामा वापस कर बेहतरीन हलफ़नामा प्रवेश करने का भी आदेश दिया है. न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी की है कि जिस प्रकार से सीएमओ दफ्तर को कार्य करना चाहिए, वह नहीं किया जा रहा है. 21वीं सदी में डिजिटाइजेशन के जगत में COVID-19 वायरस फैलने के जहां रोजाना के आकड़े जारी हो रहे हैं, वहीं सीएमओ दफ्तर रिकार्ड संभल नहीं पा रहा है.

न्यायालय ने टेस्ट रिपोर्ट आने में दो सप्ताह की देरी पर सीएमओ प्रयागराज से कर्मानुसार कार्यवाही का व्यौरा मांगा था. सीएमओ ने मांगी गयी सुचना पर चुप्पी साधे रखी. एडवोकेट एसपीएस चौहान ने अपने बयान में कहा, संक्रमितों को हॉस्पिटल में क्वारंटाइन नहीं किया जा रहा है. संक्रमित मरीज हॉस्पिटल से बाहर घूम रहे हैं. इस पर प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए, एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने कहा, हॉस्पिटलों की सुरक्षा सख्त की जायेगी तथा ट्रेसिंग ट्रैकिंग की जाएगी. किसी को भी हॉस्पिटल से बाहर आकर सड़क पर मरने नहीं दिया जायेगा. इसी के साथ सारे इंतजाम किये जाएंगे.

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